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जब महात्मा गाँधी ने झुका दिया जनरल स्‍मट्स को

News24 Bite

March 13, 2020 8:32 am

भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के राष्ट्रपिता यानि महात्मा गाँधी के बारे में कौन नहीं जनता।चलिए आज हम आपको उनके निडरता की एक कहानी सुनाते है। बात उन दिनों की है जब महात्मा गाँधी दक्षिण अफ़्रीका में थे। अपने आंदोलन के कारण उन्हें प्रायः ब्रिटिश सरकार के दमन का शिकार होना पड़ता था किंतु वे हिम्मत न हारते हुए पुनः अपने कार्य में जुट जाते थे। दक्षिण अफ़्रीका का तानाशाह जनरल स्‍मट्स(General Smuts) गाँधीजी पर अत्यधिक क्रोधित रहता था। वह चाहता था कि गांधीजी का मनोबल टूट जाए और वे अपने आंदोलन को बंद कर दे। इसलिए वह उन्हें छोटी से छोटी बात पर जेल भेज दिया करता था। वह सोचता था कि जेल के कठोर जीवन से घबराकर गांधीजी हथियार दाल देंगे, किन्तु गांधीजी जेल में भी उसी निर्विकार भाव से रहते थे जैसे जेल के बाहर रहते थे। वे कभी नहीं टूटे हमेशा अपने कर्तव्यपथ पर निडरता के साथ चलते रहे उन्होंने जेल में ही रहते हुए एक कैदी से सैंडल बनाना सीखा। जब गाँधी जी को जेल से रिहा किया गया तो उन्होंने जनरल स्‍मट्स से मुलाकात की और उन्हें एक पैकेट उपहार में दिया। तब जनरल स्‍मट्स ने उपहास करते हुए कहा “क्या इसमें बम” है। तब गांधीजी ने बोला यह मेरी तरफ से आपको मेरी विदाई का उपहार है।

गाँधी द्वारा बनाए सैंडल

जनरल स्‍मट्स ने जब उस पैकेट को खोला उसमे से निकले खूबसूरत सैंडल के जोड़ी को देखकर दंग रह गया। वर्षो बाद गांधीजी को अपने जन्मदिन पर एक पत्र मिला उस पत्र को स्मट्स के द्वारा भेजा गया था जब महात्मा ने उस पत्र को खोला उसमे स्मट्स ने लिखा था ” आपके द्वारा बनाए गए उन सैंडल को मैंने गर्मियों में पहना किंतु मै लगातार यह सोचता रहा कि मै उन्हें पहनने का सही पात्र नहीं हूँ। यह थी सहनशीलता और विनम्रता की ताकत, जिसने जनरल स्मट्स जैसे क्रूर शासक को भी पराजित कर दिया। दोस्तों इस कहानी से हमें यही सिख मिलती है की हम जितने धैर्यवान और नम्र बनते है, भीतर से उतनी ही सातित्व दृढ़ता पैदा होती है।

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