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UP Gangster Subhash Thakur : पूर्वांचल का सबसे बड़ा डॉन जिसे अंडरवर्ल्ड डौन भी मानता है गुरु

News24 Bite

November 3, 2022 12:59 pm

UP Gangster Subhash Thakur (BABA): यूपी के पूर्वांचल में बाहुबलियों का हमेशा से बोलबाला रहा है। चाहे सियासत हो या फिर ठेकेदारी, हर जगह बाहुबली किसी ना किसी तरह से शामिल हैं। यूं तो पूर्वांचल में कई माफिया गैंगस्टर रहे हैं। लेकिन सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा को यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहा जाता है।

दोषी करार दिए जाने के बाद वह इस वक्त फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसके खिलाफ 50 से ज्यादा संगीन मामले चल रहे हैं। उसने लंबी दाढ़ी रख ली है। उसका हुलिया बाबाओं जैसा हो गया है। इसीलिए लोग उसे बाबा कहकर बुलाते हैं। बताया जाता है कि आज भी जेल में सुभाष ठाकुर दरबार लगाता है। उसका कारोबार यूपी से लेकर मुम्बई तक फैला हुआ है।

6 फुट से भी ज्यादा ऊंचाई और विशालकाय शरीर वाले चेहरे पर बढ़ी लंबी सफेद दाढ़ी और मूंछ उस के व्यक्तित्व को बेहद रुआबदार बनाती है। वैसे तो बाबा ठाकुर जेल में कैदी की हैसियत से रहता है। लेकिन उस की शख्सियत और रसूख कुछ ऐसा है कि वह इस जेल का राजा है। जिस का हर रोज दरबार लगता है।

लंबी दाढ़ी व बाल अब सुभाष सिंह ठाकुर की पहचान बन चुकी है। लोग उसे अब बाबाजी कहते हैं। जरायम की दुनिया के लोग हों या राजनीतिक जगत की हस्तियां, हर कोई बाबा ठाकुर का सम्मान करता है। जेल के अंदर और बाहर रहने वाले लोगों के लिए जेल के अंदर सुभाष ठाकुर का दरबार लगता है।

और बता दे, इस दरबार में जेल के अधिकारी से ले कर कर्मचारी तक मौजूद होते हैं। बाहर से मिलने आने वाले कारोबारी से ले कर नेता और फरियादी इस दरबार में पहुंच कर बाबा ठाकुर को अपनी फरियाद सुनाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि लोगों की फरियाद सुनी ही नहीं जाती, बल्कि उस का निदान भी किया जाता है। बाबा ठाकुर के एक इशारे पर लोगों के काम हो जाते हैं। हो भी क्यों न, इस देश में आज जितने भी डौन, गैंगस्टर और माफिया हैं, बाबा ठाकुर एक तरह से उन सब का महागुरु है।

बता दे, अभी के समय में राजनीति का लबादा ओढ़ चुके यूपी के बृजेश सिंह भी कभी इसी बाबा ठाकुर की शागिर्दी में काम कर के यूपी का सब से बड़ा डौन बना था। बाबा ठाकुर दबदबा इतना जयादा था की यूपी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कोई भी सुभाष ठाकुर से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता।

मुन्ना बजरंगी भी सुभाष ठाकुर का चरणगोह था। बता दे यूपी के किसी भी चुनाव में उसका दखल रहता है। खासकर पूर्वांचल की बात करें तो वहां की कई सीटों पर सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा का सीधा प्रभाव होता है। इलाके के कई नेता सुभाष ठाकुर से जीत का आर्शीवाद लेते हैं।

वाराणसी के छोटे से गांव का रहने वाला 17 वर्षीय सुभाष सिंह ने अपराध की दुनिया में उस वक्त कदम रखा था, जब वो मुम्बई काम की तलाश में पहुंचा। कुछ महीनों में जीतोड़ मेहनत के कई काम करने के बाद सुभाष को लगने लगा कि इस तरह के काम से वह अपना पेट तो भर सकता है, लेकिन कभी अपने उन सपनों को पूरा नहीं कर सकता, जिसे ले कर वह मायानगरी में आया है।

संयोग से उन दिनों एक ऐसा वाकया हो गया, जिस ने सुभाष की जिदंगी बदल दी. विरार इलाके में पावभाजी का ठेला लगाने वाले उस के एक दोस्त से हफ्तावसूली को ले कर मराठी गुंडों का झगड़ा हो गया. सुभाष कदकाठी और ताकत में ऐसा था कि किसी को भी पहली नजर में डरा देता था. सुभाष ने उस दिन पहली बार उन मराठी गुंडों की जम कर पिटाई कर दी।

अंजाम ये हुआ कि लोकल मराठी लड़कों ने पुलिस में अपनी सेटिंग के बूते सुभाष के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। पुलिस ने सुभाष को उठा लिया और जम कर पिटाई कर के उसे जेल भेज दिया।

कुछ दिन बाद उस की जमानत तो हो गई, लेकिन जेल से बाहर आने के बाद भी पुलिस ने सुभाष को परेशान करना नहीं छोड़ा। लोकल मराठी लड़कों को स्थानीय नेताओं की शह थी, जिन के दबाव में पुलिस आए दिन सुभाष को झूठी शिकायत के आधार पर पकड़ लाती और परेशान करती, सुभाष कुछ ही महीनों में मायानगरी के बारे में समझ गया था कि अगर यहां रहना है तो दब कर नहीं, बल्कि लोगों को दबा कर रहना होगा।

फिर वहीं से सुभाष ठाकुर की एंट्री जुर्म की दुनिया में हुई। इसके बाद सुभाष ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो एक बाद एक ताबड़तोड़ वारदात को अंजाम देता गया। इसी वजह से जुर्म की काली दुनिया में सुभाष ठाकुर के नाम का दबदबा भी बहुत तेजी से बढ़ता गया। मुंबई में लोग सुभाष ठाकुर के नाम से कांपने लगे थे। वो बिल्डरों और बड़े कारोबारियों पर शिकंजा कसता जा रहा था।

ठीक उसी वक्त मुम्बई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम ने अपराध जगत में कदम रखा। जैसे हर काम के लिए गुरु की ज़रूरत होती है, वैसे ही दाऊद को भी किसी उस्ताद की ज़रूरत थी। जिसके चलते वो सुभाष ठाकुर के दरबार में जा पहुंचा। वहीं दाऊद इब्राहिम ने जरायम की दुनिया पाठ पढ़ा। जुर्म करने के तरीके सीखे। इसी के बाद वो एक कुख्यात गैंगस्टर बन गया और फिर मुंबई का सबसे बड़ा माफिया डॉन।

बता दे, जब सुभाष ठाकुर, छोटा राजन और दाऊद के साथ मिलकर मुम्बई में काम कर रहा था, तस्करी, रंगदारी, फिरौती के कामों को अंजाम देने में माहिर संतोष ठाकुर खौफ का दूसरा नाम बन गया था। उनकी दुश्मनी गवली गिरोह के साथ थी। इसी दौरान गावली ने दाऊद को गहरा जख्म दिया। उसके शूटरों ने 26 जुलाई 1992 की मुम्बई के नागपाड़ा के अरब गली में दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पारकर का मर्डर कर दिया था। इस हत्याकांड में पहली बार एके47 और 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था। इस हत्या ने दाऊद को हिलाकर रख दिया था। इस कत्ल का बदला लेने के सुभाष ठाकुर और छोटा राजन ने 12 सितम्बर 1992 को मुम्बई के जेजे अस्पताल में गावली के शूटर शैलेश की दिनदहाड़े हत्या कर सनसनी मचा दी थी।

जरायम की दुनिया में सब जानते थे कि सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा ही दुनिया के कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरू है। लेकिन कहते हैं न जुर्म की दुनिया में दोस्ती ज्यादा दिन नहीं टिकती, ठीक वैसे ही कुछ सालों बाद ही दोनों के रिश्ते खत्म हो गए। सुभाष ठाकुर और दाउद भी दुश्मन हो गए। इस दुश्मनी का कारण साल 1993 में हुए मुंबई सीरियल बम धमाके थे, जिसे दाउद इब्राहिम ने कई आतंकियों के साथ मिलकर अंजाम दिया था। इसके बाद सुभाष ठाकुर ने अपना रास्ता बदल लिया। वहीं जेजे हॉस्पिटल शूटआउट मामले में साल 2000 में सुभाष ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

दरअसल, जब मुम्बई में 1992 के ब्लास्ट हुए थे। तभी सुभाष ठाकुर और दाऊद इब्राहिम अलग हो गए थे। इसके बाद सुभाष ठाकुर ने दाऊद के दुश्मन बन चुके माफिया सरगना छोटा राजन के साथ हाथ मिला लिया था।

डी गैंग से अलग हो जाने के बाद से ही सुभाष ठाकुर को अपने शिष्य दाऊद इब्राहिम से जान का खतरा हो गया था। जब सुभाष ठाकुर पकड़ा गया तो उसने कानून से जान की हिफाजत के लिए गुहार लगाई। साल 2017 में भी उसने यूपी की बनारस कोर्ट में एक याचिका दायर कर बुलेट प्रूफ जैकेट और सुरक्षा की मांग की थी।

यूपी के पूर्वांचल में सुभाष ठाकुर ने जुर्म की दुनिया से निकलकर सियासत में कदम रखने वाले बृजेश सिंह को सहारा दिया। सुभाष ठाकुर का हाथ सर पर होने से बृजेश सिंह को बहुत फायदा हुआ। दोनों मिलकर काम करने लगे थे। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कोई भी सुभाष ठाकुर से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता था। मुन्ना बजरंगी को भी सुभाष ठाकुर का आशीर्वाद प्राप्त था।

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