नायकू भागने और छुपने में काफी माहिर था
सूत्रों के मुताबिक मंगलवार रात सुरक्षाबलों को इस गांव में नायकू और उसके कुछ साथियों के छिपे होने की खबर मिली थी। तुरंत उस घर की घेराबंदी की गई। ज्ञात हो नायकू भागने और छुपने में काफी माहिर था, इसके पहले वह कई मुठभेड़ों में बेहद करीब होते हुए भी वह हमेशा बच निकलने में कामयाब रहा।
लेकिन सुरक्षाबलों ने इस बार कोई और मौका नहीं देते हुए मंगलवार की रात को उस घर को एवं पुरे इलाके को घेर लिया, साथ ही संभावित सुरंगों और भूमिगत ठिकाने के बारे में जानकारी मिलने के बाद कई क्षेत्रों, रेलवे पटरियों को खोदा गया। मंगलवार रात भर सर्च ऑपरेशन किया गया और बुधवार सुबह 9 बजे के करीब आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दिया जिसके बाद जवाबी कार्यवाही में नायकू और उसका एक सहयोगी आदिल मारा गया। इस घटना के बाद पूरे कश्मीर में एहतियात के तौर पर मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
मैथ्स टीचर से आतंकी बनने की कहानी
बता दे, नायकू का पूरा नाम रियाज़ अहमद नायकू था। जिसकी उम्र 35 शाल थी। नायकू के पिता के मुताबिक वह 12वीं के बाद एक प्राइवेट स्कूल में मैथ पढ़ाता था। 2010 में कश्मीर में हुई उपद्रव के दौरान वह आतंकी बन गया था।
12 लाख रुपए का इनामी आतंकवादी था नायकू
हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करने वाला रियाज नायकू कश्मीर में सबसे ज्यादा समय तक सक्रिय रहने वाला आतंकी था। उसे मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की टॉप श्रेणी में रखा गया था। उसके ऊपर 12 लाख रुपए का इनाम रखा गया था।
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