रेस्क्यू ऑपरेशन

मदरसे की हालत देख कर सभी अधिकारी दंग रहे रह गए बच्चों को मानव जीवन की मूलभूत सुविधाओं के बिना रखा गया था वहां ना पंखे ना बिजली ना बच्चों के खान-पान की सुविधा, ना खेलने कूदने की सुविधा इत्यादि थी. गरीब लोगों के बच्चों को उर्दू की पढ़ाई के नाम पर ला कर उनसे कपडे और बैग बनाने के कार्यों में लगाने के सबूत मिले. अभी सभी बच्चों की काउंसिलिंग चल रही है जिससे अन्य और जानकारी मिल सके कि इन बच्चों का उपयोग किन किन कार्यों में किया जा रहा होगा. मदरसे में उर्दू पढ़ाने के नाम पर गरीबों के नाबालिग बच्चों के साथ जैसा खिलवाड़ हो रहा था वो सभी अधिकारीयों ने अनुभव किया.ये बच्चे पहले मोतिहारी में रोके गए थे किंतु बाल कल्याण समिति मोतिहारी के संज्ञान में दिए बिना वहीँ से इनको ले जाने वाले व्यक्ति के हाथों में सौंप लखनऊ की बस में रवाना कर दिया गया.प्रातः में मानव तस्करी रोधी इकाई (क्षेत्रक मुख्यालय) एसएसबी बेतिया को जैसे ही ये सूचना प्राप्त हुई कि 06 (छ: ) बच्चों को मदरसे में पढाई के नाम काम करवाने के लिए ले जाया जा रहा है तब इस आसूचना के साथ मिशन मुक्ति फाउंडेशन नयी दिल्ली, राज्य बाल अधिकार सरंक्षण अधिकार आयोग (लखनऊ), चाइल्ड लाइन लखनऊ, पारा पुलिस थाना लखनऊ, अल्पसंख्यक विभाग लखनऊ ने सयुंक्त ऑपरेशन “आहट” को लांच कर दिया.इस ऑपरेशन में मुख्य भूमिका निम्न अधिकारियों की रही|

प्रियांक कानूनगो (अध्यक्ष) राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग नयी दिल्ली, डा.शुचिता चतुर्वेदी (सदस्य) उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग (लखनऊ), इंस्पेक्टर मनोज कुमार शर्मा मानव तस्करी रोधी इकाई (क्षेत्रक मुख्यालय) एसएसबी बेतिया (बिहार), विरेन्द्र कुमार सिंह मिशन मुक्ति फाउंडेशन (नयी दिल्ली), संगीता शर्मा चाइल्ड लाइन (लखनऊ), गयासुद्दीन खान अल्पसंख्यक विभाग लखनऊ, श्याम त्रिपाठी बाल आयोग लखनऊ|

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