अयोग्य एवं विलासी सम्राट

9 मई, 1661 में जन्मे जहाँदारशाह मुगल शासक बहादुरशाह प्रथम (Bahadur Shah I) के चार पुत्रो में सबसे ज्येष्ठ पुत्र था। पिता की मृत्यु के पश्चात् जहाँदारशाह अपने भाईयो को मारकर सम्राट् बनने में सफल हुआ। उस समय उसकी आयु 51 वर्ष थी। कहा जाता है कि जहाँदारशाह अयोग्य एवं विलासी सम्राट था। वह हमेशा भोग विलास में डूबा रहता था।

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लम्पट मुर्ख के नाम से जाना गया

जहाँदारशाह तैमूर के ख़ानदान में पहला सम्राट था, जो अपने बेहद नीचता, क्रूर स्वभाव, दिमाग के छिछलेपन तथा कायरता के कारण शासन करने में पूरी तरह से अयोग्य पाया गाय। एक इतिहासकार ‘इरादत ख़ाँ’ ने जहाँदारशाह के बारे में लिखा है कि “वह रंगरेलियों में डूबे रहने वाला एक कमज़ोर व्यक्ति था, जिसने राज्य के कार्यों की तनिक भी चिन्ता नहीं थी” यह भी कहा जाता है कि जहाँदारशाह के शासनकाल में “उल्लू बाज के घोंसले में रहता था, तथा कोयल का स्थान कौवे ने ले लिया था।” इसे लम्पट मुर्ख भी कहा जाता था। जहाँदारशाह को लम्पट मुर्ख भी कहा जाता था। उसे लम्पट मुर्ख की उपाधि इतिहासकार ‘इरादत खां’ ने दी थी।

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