माटी करे पुकार ।
सपूत भारत माँ के हो जा तू तैयार ।।

दुश्मन घुड़की लगाए बैठे ।
बंदूक सजाये रखो तू कंधे ।।

बोलते रहो हर पल तू वंदे।
लहू दौड़ेंगे अश्व जैसे।।

रग-रगो में लहू भरा है।।
वीर पुरखो जैसा जोश भरा है।।
डटे रहो सिमा पर शेर जैसे।
दुश्मनो का होश उड़ा है।।
डटे रहो सीमा पर आज।

माटी करे पुकार।
सपूत हो जा तू तैयार।।

सुनो कहानी शिवाजी की।
धूल चटाये औरंगजेब की,
भूला ना करो लक्ष्मी बाई की,
वीर कुवँर को करो तू याद,
रहो हर पल तू तैयार।।

बुढ़ापे में जोश भर आये।
जवानी उनके याद भी आये।
अंग्रेजो को दम घुटाये,
गंगा माँ को भुजा चढ़ाये,
नहीं जानते क्या पुत्र आज ?
माटी करे पुकार।
सपूत हो जा तू तैयार।।

नमन करना तू भारत माँ की
बोल -बोलकर वन्दे मातरम्।

डर जाये दुश्मन भारत माँ की ।
सीमा, छोड़ भागे गीदड़ की जैसी।
हुंकार कर दो तुम वतन की खातिर।।

चरण चूमेंगे तेरी आज।
माटी करे पुकार।
सपूत हो जा तू तैयार।।

कायर न बनना सम्पर्ण न करना,
दुश्मनो के आगे टेका न करना,
माटी की लाज को कायम तू रखना,
मरते मरते तू दुश्मनो को न छोड़ना,
बार -बार तू भारत माँ की जय- जय जरूर बोलना,
दिलो से कवि (संजीव ) की आती आवाज,
माटी करे पुकार।
सपूत हो जा तू तैयार ।।

वन्दे मातरम् ।। वन्दे मातरम् ।।

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