पिताजी दवा लेने मोतीपुर गए थे। लौटते समय पकड़ी चट्टी आते- आते रात हो गई। वहाँ से घर की दूरी पाँच किलोमीटर थी। वहाँ एक विशाल पाकड़ का वृक्ष था। वह वृक्ष अभी भी है। एक कि॰मी॰ चारों ओर कोई गाँव नहीं था। रात अंधेरी थी।
पिताजी मुख्य पक्की सड़क छोड़कर कच्ची सड़क पर उतरे। उन्होंने देखा कि एक औरत एक झोली लिए खेते-खेते उनकी बाईं ओर उनके समानांतर चल रही थी। पिताजी ने उसे सुनाते हुए कहा- लोग कहते हैं कि महिलाओं को बुद्धि नहीं होती। बताओ, तुम इस समय अंधेरी रात में घर से भागी हो। रास्ते में कोई भूत प्रेत या चोर- बदमास मिल जाए, तो तुम क्या करोगी? भागना ही था, तो सुबह में भागती। पिताजी ने उसे भगोरिन समझ लिया था।
इनका इतना ही कहना था कि वह महिला कुत्ता बन गई, और उसी तरह समानांतर चलने लगी। पिताजी बहुत ही निडर स्वभाव के थे। फिर भी, जब उन्होंने सामने साक्षात प्रेत को देखा तो थोड़ा भयभीत हो गए। उन्होंने सड़क से थोड़ी सी धूल उठा ली, और गायत्री मंत्र का जप करने लगे। अब उनकी गति थोड़ी तेज हो गई थी।
कुछ देर बाद कुत्ता एक से दो हो गया और दोनों आपस में कुत्तों की तरह दो पाँवों पर खड़े होकर लड़ने लगे। पिताजी संस्कृत के बड़े विद्वान थे। कई प्रकार के मंत्रोच्चारण करते हुए तेजी से आगे बढ़ रहे थे। दूसरा कोई उपाय न था। आगे सड़क के दोनों ओर बहुत दूर तक ईंख के खेत थे।
अब वे दोनों कुत्ते दो घोड़े बन गए और ईंख के खेतों में इस पार से उस पार तक लगे दौड़ने। ईंखों की खड़खड़ाहट से वातावरण और भयावह हो गया था। पिताजी दूर से पैदल आए थे, उनका कंठ सूख रहा था। आगे मिठनपुरा गाँव है, लेकिन सड़क से थोड़ा हटकर। सड़क किनारे एक राय जी का बथान था। राय जी मवेशियों के साथ वहीं रहते थे। वे उस समय खाट पर सोए थे। वहाँ भी एक विशाल पाकड़ का वृक्ष था। वह वृक्ष अभी भी है, किन्तु जीर्ण शीर्ण अवस्था में।
पिताजी उस बथान के पास जाकर गिर पड़े और बेहोश हो गए। कपड़े पसीने से लथपथ हो गए थे। राय जी दौड़कर आए और पानी के छींटे मारकर इन्हें होश में लाए। बाद में पूछने पर पिताजी ने पूरी कहानी कह सुनाई। उन्होंने कहा कि बेहोश होने से पहले इस वृक्ष पर जोरों की झड़झड़ाहट हुई, लगा कि वृक्ष की फुनगी पूरब और पश्चिम दिशा में जमीन से सट गई हो।
तब राय जी ने पिता जी से कहा- पंडित जी- यह कोई नया प्रेत है जो करीब तीन महीने से लोगों को परेशान कर रहा है। पकड़ी चट्टी वाले वृक्ष से इस वृक्ष तक ही वह रहता है। कुछ देर आराम कर के पिताजी घर के लिए प्रस्थान किए।
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