दरअसल, नालगोंडा ज़िले के अंदरूनी इलाके कोठानंदीकोंडा का रहने वाला 18 वर्षीय शिवा हैदराबाद में रहकर ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा हैं। लॉकडाउन में घर लौटा तो कोरोना के हल्के लक्षण दिखने के बाद उसने अपना टेस्ट कराया। 4 मई को रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। लेकिन घर की हालत और गांव में कोई आइसोलेशन सेंटर न होने की वजह से उन्होंने पेड़ के ऊपर आइसोलेट होने का फैसला किया और पेड़ पर उसने 11 दिन गुजार दिया।
जब शिवा से इस सिलसिले में बात हुई तो उसने बताया कि : ‘गावं में कोई आइसोलेशन सेंटर नहीं था। मेरे परिवार में चार सदस्य हैं। अपने कारण मैं किसी को संक्रमित नहीं कर सकता। ऐसे में पेड़ पर आइसोलेट करने का फैसला किया। गांव में कोई मेरी मदद के लिए आगे नहीं आया। वो सब वायरस से डरे हुए हैं…वो अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं।
शिवा ने पेड़ पर लकड़ियों के सहारे एक गद्दा डाल लिया है। पेड़ उसके घर के आंगन में ही है। एक रस्सी और बाल्टी की सहायता से एक पुली सिस्टम बनाया है। उसका रोज़ का खाना और दूसरी ज़रूरी दवाएं इसी पुली सिस्टम के ज़रिए भेजी जाती हैं। आइसोलेशन के दौरान शिवा ने अपना अधिकतर समय मोबाइल के सहारे बिताया है।
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