Mohammad Shahabuddin passes away due to COVID-19. बाहुबली और RJD के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की आज सुबह मौत हो गई है। वे कोरोना संक्रमित थे।
दिल्ली के दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। जानकारी के अनुसार, तिहाड़ जेल में बंद शहाबुद्दीन की कोरोना रिपोर्ट 20 अप्रैल को पॉजिटिव आई थी। उसके तुरंत बाद उन्हें दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
तिहाड़ जेल के डीजी के अनुसार 1 मई यानी आज सुबह शहाबुद्दीन की स्थिति बिगड़ने के कारण डॉक्टर्स उन्हें LNJP अस्पताल में शिफ्ट करने की प्लानिंग कर रहे थे, लेकिन इससे पहले शहाबुद्दीन ने दम तोड़ दिया।
बता दे, दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद शहाबुद्दीन 2004 में दोहरे हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहा था।
वही शहाबुद्दीन के निधन की पुस्टि करते हुए RJD नेता तेजस्वी यादव ने लिखा है:
पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का कोरोना संक्रमण के कारण असमय निधन की दुःखद ख़बर पीड़ादायक है। ईश्वर उनको जन्नत में जगह दें, परिवार और शुभचिंतकों को संबल प्रदान करें। उनका निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है। दुख की इस घड़ी में राजद परिवार शोक संतप्त परिजनों के साथ है।
जानिए कौन है मोहम्मद शहाबुद्दीन
10 May 1967 में बिहार के सिवान जिले में स्थित प्रताप पुर गावं में जन्मे मोहम्मद शहाबुद्दीन ने राजनीति विज्ञान में एमए और PHD की पढ़ाई की थी। कॉलेज के दिनों से ही अपराध और राजनीति की दुनिया में सक्रिय रहा शहाबुद्दीन पर पहला आपराधिक मामला 1986 में दर्ज हुआ। उसके बाद तो मुकदमे की झड़ी लग गई। सीवान के हुसैनगंज थाने ने शहाबुद्दीन को A कैटेगरी का हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया था। शहाबुद्दीन की पत्नी हीना शहाब भी सांसद रह चुकी है 2019 के लोकसभा चुनाव में वह हार गई थी। शहाबुद्दीन को एक बेटा और दो बेटी हैं।
चार बार सांसद एवं दो बार विधायक
चार बार सांसद एवं दो बार विधायक रहे शहाबुद्दीन पहली बार 1990 में जनता दल के टिकट से चुनाव लड़ा और जीरादेई सीट (Ziradei) से विधायक बना। लालू यादव को अपना नेता मानने वाला शहाबुद्दीन 1995 में फिर दुबारा विधायक बना। 1996 में लालू की पार्टी ने शहाबुद्दीन को सिवान से लोकसभा का टिकट दिया और वो संसद पहुंच गया। 2004 लोकसभा चुनाव से 8 महीने पहले उसे अरेस्ट कर लिया गया था। उसने ये चुनाव जेल से ही लड़ा और जीता।
हत्या, अपहरण, लूट, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली के कई मामले शहाबुद्दीन पर दर्ज होते रहे और वो लगभग जेल में ही रहा। लेकिन उसका खौफ़ सीवान में कम नहीं हुआ। कई बार जेल में उसे VIP सुविधा मिलने की बात भी सामने आती रही है।
सीवान में चलती थी हुकूमत
हमेशा बन्दूकधारियों से घिरा रहने वाला शहाबुद्दीन 2000 के दशक तक सीवान जिले में समानांतर सरकार चला रहा था। उनकी एक अपनी अदालत थी। जहां लोगों के फैसले सुनाया करता था। वह खुद सीवान की जनता के पारिवारिक विवादों, भूमि विवादों का निपटारा तो करता हीं था साथ ही जिले के डॉक्टरों की परामर्श फीस और कई घरों के वैवाहिक विवाद भी वह अपने तरीके से निपटाते था।