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Ram Navami 2021: कल रामनवमी पर ऐसे करें हवन,नोट कर लें पूजन सामग्री,विधि और हवन का शुभ समय

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए
  • संजीव सुमन की रिपोर्ट

News24 Bite

April 20, 2021 11:18 am

Ram Navami 2021. चैत्र नवरात्रि के समापन में अब एक दिन का समय बाकी रह गया है।जानकारी के लिए बता दें कि इस साल राम नवमी 21 अप्रैल को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रामनवमी के दिन ही भगवान राम ने राजा दशरथ के घर जन्म लिया था। जो मर्यादा-पुरुषोत्तम राम के नाम से भी जाने जाते है।

भगवान राम राजा दशरथ के सबसे बड़ी रानी कौशल्या के पुत्र रूप में अवतरित हुए थे। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा करने के साथ हवन भी करने का प्रावधान है। कहते हैं कि रामनवमी के दिन हवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानतें हैं रामनवमी पर हवन-पूजन का शुभ मुहूर्त, हवन सामग्री और विधि :

राम नवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, मंगलवार 21 अप्रैल को रामनवमी देर रात 12 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी, जो कि 22 अप्रैल की सुबह 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी।

पूजा मुहूर्त: 21 अप्रैल के दिन सुबह 11 बजकर 2 मिनट से दोपहर एक बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

पूजा की कुल अवधि: 2 घंटे 36 मिनट का है।

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हवन सामग्री : रामनवमी पर हवन सामग्री में नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि को शामिल करना पड़ता है।

आइये जानते हैं हवन विधि

राम नवमी के दिन व्रती को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करना चाहिए। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवी- देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। हवन समाप्त होने के बाद भगवान राम और माता सीता की आरती उतारनी चाहिए। इसके बाद आखिरी में जय श्रीराम के नारे के साथ-साथ सभी देवी-देवताओं के नारे के साथ पूजा समाप्त करनी चाहिए।

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