Nitish Birthday Special. बिहार के मुख्यमंत्री और सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च ‘विकास दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है।अभी पिछले साल के आखिरी महीनों में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर 7वीं बार शपथ लेकर अपने कद को बहुत बड़ा कर लिये हैं।
बिहार की सियासत के चाणक्य
बिहार राज्य की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले सीएम आज 70 साल के हो चुके हैं। यही नहीं, उनकी लंबी राजनीतिक पारी से लेकर व्यक्तित्व की चर्चा आज भी न सिर्फ उनके सहयोगी, बल्कि विरोधी तक करते रहते हैं। इसके अलावा वह बिहार में अपने निर्णयों की वजह से बिहार की आधी आबादी कहने का मतलब है कि महिला मतदाताओं पर उनकी खासी पकड़ मानी जाती रही है। महिला मतदाताओं का रूझान उनके तरफ अभी भी बड़ी तादाद में है, जो इस चुनाव में खासतौर पर देखने को मिला है।
ख्तियारपुर में जन्मे ‘मुन्ना’ जिसे आज देश और दुनिया नीतीश कुमार के नाम से जानती है
1 मार्च 1951 को बिहार के पटना जिला के बख्तियारपुर (Bakhtiarpur) में जन्मे ‘मुन्ना’ जिसे आज देश और दुनिया नीतीश कुमार के नाम से जानती है, वह आज 70 साल के हो चुकें हैं। बचपन से ही तेज बुद्धि के नीतीश ने स्कूली पढ़ाई बख्तियारपुर से पूरी करने के बाद साइंस कॉलेज से पढ़ाई की और इसके बाद पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से डिग्री प्राप्त किए। इसके बाद 1974 के छात्र आंदोलन में सक्रिय हो गए और इस तरह से राजनीति में कदम रखा।
छात्र राजनीति में आने के बाद नीतीश कुमार ने पहली बार 1977 में विधानसभा चुनाव हरनौत से लड़ा, लेकिन वहाँ उन्हें हार का सामना करना पड़ा।इसके बाद दुबारा 1980 में एक बार फिर हरनौत से चुनाव लड़े लेकिन फिर से उन्हें शिकस्त मिली। दो बार हार मिलने के बावजूद नीतीश कुमार ने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार तीसरी बार 1985 में हरनौत से नीतीश कुमार शानदार जीत हासिल किए और विधायक बने, इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।1989 लोकसभा चुनाव में तब के मजबूत नेता माने जाने वाले राम लखन सिंह यादव को बाढ़ से हराकर लोकसभा चुनाव जीता और पहली बार सांसद बने।
वहीं, उनके (नीतीश) 1974 के आंदोलन के मित्र और राजनीतिक सहयोगी वशिष्ठ नारायण सिंह बताते हैं कि नीतीश कुमार ने छात्र राजनीति के वक्त ही अपनी अलग पहचान बना लिए थे।
आइये नीतीश के परिवार के बारें में जानते हैं
नीतीश कुमार के पिता का नाम कविराज राम लखन सिंह और माता का नाम परमेश्वरी देवी है। पत्नी का नाम मंजू कुमारी सिन्हा जो पेशे से शिक्षिका थी। उनकी मृत्यु हो चुकी है।
बता दें कि 2005 में नीतीश कुमार की अगुवाई में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एनडीए को शानदार जीत मिली थी, तब से वह बीच के कुछ महीने छोड़कर अब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं। इसके अलावा नीतीश कुमार ने केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी रेल और कृषि मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालते हुए अपने काम का लोहा मनवाये है।
10 फैसले जिससे नीतीश कुमार की पहचान बनी:
नीतीश कुमार का पहला और सबसे महत्वपूर्ण फैसला स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए साइकिल और पोशाक योजना की शुरुआत करना,जो उनका सबसे बड़ा सपना था उसकी शुरुआत की, जिसके कारण बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जाने लगीं और उनकी साक्षरता दर में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिला और लड़कियाँ बड़ी संख्या में स्कूल जाने लगी। जो बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी।
स्पीड ट्रायल : यह फैसला भी उनका लिया गया बड़ा फैसला माना जाता है। इसमें उन्होंने अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए स्पीड ट्रायल की शुरुआत की है। इसी का नतीजा था कि अपराधियों के मन में भय समाया और बिहार में अपराध में काफी कमी आ गई है।
पंचायती राज में महिलाओं को आरक्षण: नीतीश कुमार के इस कदम से महिलाओं के आत्म विश्वास में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है और महिलाए पंचायत के कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है।
यहाँ तक की उनका महिला पुलिस सिपाही भर्ती में 33 प्रतिशत आरक्षण का फैसला भी दूरगामी माना जाता है, जिसकी वजह से न सिर्फ महिलाओं को रोजगार मिला बल्कि महिलाओं का आत्मविश्वास भी खूब बढ़ा है।
शराबबंदी: नीतीश कुमार का ये वो फैसला था जिसकी चर्चा आज भी होती रहती है। विरोधी इस फैसले पर सवाल उठाते हैं, बावजूद इसके शराबबंदी ने बिहार के गांव से लेकर शहर तक की तस्वीर बदलने में बड़ा योगदान किया है। महिलाए सबसे ज्यादा इससे खुश है।
जल-जीवन और हरियाली: पर्यावरण को बचाने के लिए नीतीश कुमार के इस फैसले की सराहना देश और दुनिया में खूब होती है।इस फैसले से पर्यावरण को काफी फायदा मिल रहा है और जंगल भी बढ़ रहे हैं।साथ ही मौसम में एकाग्रता भी देखने को मिल रही है।
सात निश्चय: हर घर जल, कल नल योजना को चला कर नीतीश कुमार ने गांव की शक्ल सूरत बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है।इससे भी उनकी खूब सराहना हो रही है।
बाल विवाह, दहेज प्रथा और बुजुर्ग मां-बाप की सेवा करना अनिवार्य बनाना, जैसे फैसले से भी बिहार में बदलाव की एक हवा देखने को मिली है।
देश में पहली बार किसी राज्य ने सवर्ण आयोग का गठन किया है।महादलित समुदाय के किसी शख़्स से 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने के फैसले ने भी नीतीश कुमार को खूब चर्चा दिलाई है।
यहाँ तक कि कृषि रोडमैप लाने वाला बिहार देश का पहला राज्य है, जिसकी वजह से बिहार में कृषि में काफी बदलाव आया है।अब किसान नए तरीके से कृषि कार्य कर रहें है।किसानों को पहले की अपेक्षा ज्यादा फायदा हो रहा है।