Koo App. ट्विटर की टक्कर में लॉन्च हुआ भारत का देशी माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘Koo’ एप पिछले कुछ दिनों में काफी लोकप्रिय हुआ है। सरकार के करीब सभी मंत्रालय के अकाउंट Koo app पर बन गए हैं। इसके अलावा सरकार इस एप को प्रमोट भी कर रही है।
Koo app ने आत्मनिर्भर भारत एप चैलेंज में भी अपना जलवा दिखाया था। अब खबर है कि भारत सरकार आधिकारिक तौर पर Koo app को ट्विटर के विकल्प के तौर पर पेश करने वाली है। इसकी आधिकारिक घोषणा की संभावना बढ़ रही है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही Koo app को ट्विटर के भारतीय विकल्प के तौर पर आधिकारिक रूप से घोषित कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि Koo app को सरकार पहला सरकारी कम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्म भी घोषित कर सकती है।
यहाँ तक दावा किया जा रहा है कि सरकारी मंत्रालय की ओर से सबसे पहले कू एप पर ही जानकारी शेयर की जाएगी और उसके बाद कू के लिंक को ट्विटर पर शेयर किया जाएगा।
गौरतलब है कि हाल ही में फ्रांस के सुरक्षा विशेषज्ञ ने ‘कू एप’ के यूजर्स को चेतावनी देते हुए कहा था कि इस एप पर जिनके भी अकाउंट हैं वे सुरक्षित नहीं हैं। उनके डाटा को लीक किया जा रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञ बैपटिस्ट ने कहा कि उन्होंने ट्विटर पर यूज़र्स के अनुरोध पर कू एप पर 30 मिनट बिताए और पाया कि भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म अपने यूजर्स की संवेदनशील जानकारी जैसे कि ईमेल एड्रेस, नाम और जन्मदिन के साथ-साथ कई अन्य जानकारियां लीक कर रहा है। उन्होंने कू एप के बारे में अपनी इस शोध को विस्तार से बताने के लिए कई ट्वीट किए।
इस दावे के बाद कू के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा है कि डाटा लीक का विवाद फालतू में बनाया जा रहा है। डाटा को लेकर जो दावा किया गया वह यूजर्स की इजाजत के बाद लिया गया डाटा है। जब कोई यूजर्स Koo पर अपनी प्रोफाइल बनाता है तो उससे ई-मेल, मोबाइल नंबर, जन्म तारीख, लिंग और शिक्षा जैसी जानकारियां ली जाती हैं।
Koo App क्या है?
वैसे तो आपमें से कई लोग Koo एप के बारे में जानते होंगे लेकिन कई लोग अभी इससे अनजान हैं तो बता दें कि Koo एक माइक्रोब्लॉगिंग साइट है जिसे ट्विटर की टक्कर में पेश किया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो Koo एक मेड इन इंडिया ट्विटर है। यह हिंदी, अंग्रेजी समेत आठ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। Koo को एप और वेबसाइट दोनों तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका भी इंटरफेस ट्विटर जैसा ही है। इसमें शब्दों की सीमा 350 है। मतलब आप अपने विचार 350-400 शब्दों में बात रख सकते है।
30 करोड़ की फंडिंग
बता दें, कि इसी सप्ताह कू ने अपनी सीरीज ए फंडिंग के हिस्से के रूप में 30 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह फंडिंग इंफोसिस के मोहनदास पाई की 3one4 कैपिटल की ओर से हुई है। इससे पहले कू को ऐक्सेल पार्ट्नर्ज, कालारी कैपिटल, ब्लूम वेंचर्ज और ड्रीम इंक्युबेटर से भी फंडिंग मिली है। कू के सह-संस्थापक और सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण हैं।
मतलब भारत ने अपनी मेक इन इंडिया कू जो ट्विटर को टक्कर देने के लिए बनाई गई है। अगर सरकार इसे बढ़ावा दें तो अमेरिकी बेस ट्विटर को बाजार में अच्छी टक्कर और उसकी दादागीरी भी कम कर सकती है। जो भारत जैसे विकासशील देश के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। साथ ही भारत को विकसित देश बनने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा सकती है।