Hindi Story. प्राचीन काल में एक काफी सम्पन्न सेठ था, जो काल के क्रम में आज अत्यन्त विपन्न हो चुका था l परिवार में विचार करके, धनोपार्जन के लिए बाहर जाने को तैयार हुआ।
उसने पत्नी से पूछा- आते समय तेरे लिए क्या लाऊँगा? पत्नी बोली- बनारसी साड़ी। बड़ी पुत्री से पूछा- तेरे लिए क्या लाऊँगा? वह बोली- एक सुन्दर उणी साल । अब सेठ ने अपनी छोटी पुत्री ब्यूटी से पूछा- तेरे लिए? ब्यूटी अपने पिता की माली हालत समझती थी। वह बोली- मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। आप सुरक्षित आ जाएँ, यही मेरे लिए खुशी की बात होगी। सेठ के बार- बार पूछने पर उसने कहा- अगर सहज सुलभ हो, तो एक गुलाब का फूल मेरे लिए लेते आइएगा।
सेठ घर से प्रस्थान किया। उसने दो साल तक अथक परिश्रम करके अकूत धन अर्जित किया। अब वह वापस घर के लिए प्रस्थान किया। तब पैदल ही यात्रा करनी पड़ती थी। पनिया जहाज से उतरने के बाद, बक्सा सिर पर रखकर प्रस्थान किया। रास्ते में एक जंगल मिला। थोड़ा आगे बढ़ने पर एक सुंदर मकान मिला। काफी थक चुका था। वहीं बक्सा रखकर आराम करने लगा। मकान के आगे एक कुआँ था, जहाँ बाल्टी लोटा रखे थे। सेठ शौच क्रिया से निवृत्त होकर, स्नान ध्यान करके- बरामदे में आया। वहाँ एक चौकी पर सुंदर चादर बिछाई गई थी। तकिया रखा था।
बगल में मेज पर नाश्ता रखा था। कुर्सी लगी थी। कोई आदमी नजर नहीं आ रहा था। सेठ ने सोचा शायद इस घर में कोई पुरुष नहीं है। शायद यह नाश्ता मेरे लिए ही रखा गया है। उसने नाश्ता किया, मुँह हाथ धोकर बिछावन पर सो गया। दो घंटे बाद जब उसकी नींद टूटी, तो देखा कि मेज पर थाली में खाना रखा है। उसने खाना खा लिया। वह सोचने लगा- घर की महिला बहुत समझदार है। उसे आश्चर्य हो रहा था कि- घर में किसी के होने की आहट क्यों नहीं आ रही है? थोड़ा आराम करने के बाद, सेठ ने प्रस्थान करने के लिए उठा। सामने एक बगीचा था जिसमें तरह- तरह के फूल खिले थे। उसे ब्यूटी की याद आई। जाकर सेठ ने एक सुंदर गुलाब का फूल तोड़ लिया। ठीक उसी समय एक भयानक राक्षस उसके सामने आकर बोला। तुमने यह फूल क्यों तोड़ा? यहाँ तुम्हें कोई परेशानी हुई? मैंने तेरे लिए सारी व्यवस्था की। अब मैं तुम्हें दंड दूंगा। राक्षस उसकी ओर बढ़ने लगा। सेठ दोनों हाथ जोड़कर उससे माफी मांगने लगा।
राक्षस ने कहा, एक ही शर्त पर मैं तुम्हें माफ कर सकता हूँ। परिवार में तुम्हें जो सबसे पहले दिखाई पड़े, उसे मेरे पास भेजना होगा। मरता क्या नहीं करता। सेठ ने कहा- ठीक है, और वहाँ से बक्सा लेकर चल दिया।
घर पहुँचकर सेठ ने सभी को सामान दे दिया। सभी खुश थे। सेठ बहुत दुखी था, क्योंकि घर पहुँचने पर सबसे पहले उसकी नजर ब्यूटी पर ही पड़ी थी। वह सोचने लगा- इस छोटी सी अपनी प्रिय पुत्री को राक्षस के पास मैं कैसे भेजूँ ।
पन्द्रह दिनों के बाद सेठ शौच क्रिया के लिए बाहर गया था। अचानक वहाँ वह राक्षस उपस्थित होकर सेठ से बोला- आज मैं तुम्हें मार कर खा जाऊँगा। तुमने अपना वादा पूरा नहीं किया। सेठ ने कहा- मैं अभी अपना वादा पूरा करता हूँ। मुझे छोड़ दो।
घर जाकर सेठ ने पत्नी से सारी बातें बताईं सुनकर सभी रोने लगे। जब ब्यूटी को सारी बातें मालूम हुईं, तो उसने कहा। मेरे भाग्य में यही लिखा है, तो मैं जाऊँगी।
सेठ ने उसी समय उसे राक्षस के पास पहुँचा दिया। राक्षस को देखकर ब्यूटी डर गई। राक्षस ने उससे शादी करने को कहा। ब्यूटी ने इनकार कर दिया। उसी समय से राक्षस ने भोजन करना बंद कर दिया। दस दिनों के बाद ब्यूटी ने सोचा- शायद यही मेरे भाग्य में लिखा है। वह राक्षस से बोली- ठीक है, मैं तुमसे शादी करूँगी। जैसे ही वह बोली- वह राक्षस एक सुंदर राजकुमार बन गया। उसने बताया कि अनजाने में एक ऋषि का अपमान मुझसे हो गया था। उन्हीं के श्राप से मैं राक्षस बन गया था। अगर तुम मुझसे शादी का प्रस्ताव नही करती तो मैं राक्षस ही रह जाता। ऋषि ने कहा था कि जब कोई सुंदर कन्या तुमसे शादी का प्रस्ताव करेगी तब तुम श्राप मुक्त हो जाओगे। अब ब्यूटी बहुत खुश थी।