जानें वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने के उपाय
हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को निर्जला उपवास करने के साथ सायं काल सोलह शृंगार करके किसी शिव के मंदिर में जल चढ़ाना चाहिए, और माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी अर्पित करना चाहिए। उसके बाद ॐ गौरीशंकराय नमः मंत्र का जाप करें। चुनरी में अपनी श्रद्धानुसार 11, 7, 21 रु. बांधे। पूजा संपन्न करने के बाद चुनरी में बंधे हुए पैसों के अपने पास रख लें। मान्यता है कि इससे दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें, कथा सुनें और उसके बाद माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। उस खीर को प्रसाद स्वरुप अपने पति को खिलाएं। व्रत का पारण करने के लिए स्वयं भी खीर ग्रहण करें। इससे पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत बनता है, और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
व्रत रखने के दौरान न करें ये गलतियां
व्रत रखने के दौरान कई ऐसी चीजे है जिसका ध्यान रखना जरुरी है कई बार महिलाएं इसे भूल जाती हैं जिसे व्रत करने के बाद भी उसका फल नहीं मिल पाता है। तो आइए जानते हैं क्या है वह नियम :
पूजन का शुभ मुहूर्त
ये है तीज व्रत की पूजा सामग्री (Hartalika Teej Vrat Puja Ki Samagri):
कुमकुम, बेलपत्र, कलावा, गुड़हल का फूल, धतूरे का फल एवं फूल, शमी की पत्तियां या फूल, अकांव का फूल, पांच तरह के फल, पांच तरह के मेवे, पांच तरह की मिठाई, श्रीफल, जयफल, सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, गंगाजल, शहद, घी / तेल, चंदन की लकड़ी की अगरबत्ती, दक्षिणा, पान का पत्ता
हरतालिका तीज की पौराणिक कथा
शिव पुरान के कथा अनुसार देवी पार्वती के पिता महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान बिष्णु से करना चाहते थे लेकिन यह पार्वती को पसंद नहीं था। देवी पार्वती मन ही मन भगवान शिव को अपने पति के रूप में मान चुकी थी इसलिए वें जंगल में जा कर तपस्या करने लगी। तपस्या के 100 वर्ष पूरा होने के बाद भी जब भगवान भोले नाथ ने दर्शन नहीं दिया तब देवी पार्वती शिव लिंग का स्थापना कर निराहार व्रत-उपवास से शिव का आराधना की तब जाकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने पार्वती के कठोर तप के बदले वरदान मांगने के लिए कहा, तब देवी पार्वती ने शिव को अपने पति के रूप में माँगा। तब से ही इस दिन हिन्दू धर्म में तीज का त्यौहार शुरू हुआ।
" />Hartalika Teej 2020 Date. प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला हरतालिका तीज व्रत सबसे कठिन पर्वो में से एक माना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 21 अगस्त 2020 को पड़ा है। हरतालिका तीज की महिमा को अपरंपार माना गया है। हिन्दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्म्य बहुत ज्यादा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा इस व्रत को रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है, विवाहितों का वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
जानें वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने के उपाय
हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को निर्जला उपवास करने के साथ सायं काल सोलह शृंगार करके किसी शिव के मंदिर में जल चढ़ाना चाहिए, और माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी अर्पित करना चाहिए। उसके बाद ॐ गौरीशंकराय नमः मंत्र का जाप करें। चुनरी में अपनी श्रद्धानुसार 11, 7, 21 रु. बांधे। पूजा संपन्न करने के बाद चुनरी में बंधे हुए पैसों के अपने पास रख लें। मान्यता है कि इससे दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें, कथा सुनें और उसके बाद माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। उस खीर को प्रसाद स्वरुप अपने पति को खिलाएं। व्रत का पारण करने के लिए स्वयं भी खीर ग्रहण करें। इससे पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत बनता है, और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
व्रत रखने के दौरान न करें ये गलतियां
व्रत रखने के दौरान कई ऐसी चीजे है जिसका ध्यान रखना जरुरी है कई बार महिलाएं इसे भूल जाती हैं जिसे व्रत करने के बाद भी उसका फल नहीं मिल पाता है। तो आइए जानते हैं क्या है वह नियम :
पूजन का शुभ मुहूर्त
ये है तीज व्रत की पूजा सामग्री (Hartalika Teej Vrat Puja Ki Samagri):
कुमकुम, बेलपत्र, कलावा, गुड़हल का फूल, धतूरे का फल एवं फूल, शमी की पत्तियां या फूल, अकांव का फूल, पांच तरह के फल, पांच तरह के मेवे, पांच तरह की मिठाई, श्रीफल, जयफल, सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, गंगाजल, शहद, घी / तेल, चंदन की लकड़ी की अगरबत्ती, दक्षिणा, पान का पत्ता
हरतालिका तीज की पौराणिक कथा
शिव पुरान के कथा अनुसार देवी पार्वती के पिता महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान बिष्णु से करना चाहते थे लेकिन यह पार्वती को पसंद नहीं था। देवी पार्वती मन ही मन भगवान शिव को अपने पति के रूप में मान चुकी थी इसलिए वें जंगल में जा कर तपस्या करने लगी। तपस्या के 100 वर्ष पूरा होने के बाद भी जब भगवान भोले नाथ ने दर्शन नहीं दिया तब देवी पार्वती शिव लिंग का स्थापना कर निराहार व्रत-उपवास से शिव का आराधना की तब जाकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने पार्वती के कठोर तप के बदले वरदान मांगने के लिए कहा, तब देवी पार्वती ने शिव को अपने पति के रूप में माँगा। तब से ही इस दिन हिन्दू धर्म में तीज का त्यौहार शुरू हुआ।