शिक्षक को राष्ट्र निर्माता कहा जाता है। शिक्षक बच्चों के सुनहरे भविष्य को गढ़ने का काम करते हैं और भावी पीढ़ी तथा राष्ट्र का निर्माण करते हैं। आदि काल से ही गुरु का दर्जा भगवान से भी उपर है। गुरु की महिमा अतुलनीय एवं अपरम्पार है।
आज शिक्षकों की स्थिति अपने अधिकार के लिए संघर्षरत हो गई है। उन्हें सम्मानजनक वेतन एवं अन्य सुविधाएं नहीं मिल पाती है जिससे वें शारीरिक आर्थिक एवं मानसिक रुप से तनावग्रस्त महसूस करते हैं तथा अपने सुविधा व अधिकार के लिए संघर्ष कर रहें हैं। शिक्षकों के उपर गैर शैक्षणिक कार्यों की भी जिम्मेवारी है जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कहीं ना कहीं अवरोधक हो सकता है। यदि शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन, सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन सहित तमाम अन्य सुविधाएँ मिले तो संभव है शिक्षक निर्भीक एवं स्वतंत्र रुप से तनाव मुक्त होकर कार्य करेंगे।
शिक्षक दिवस के अवसर पर उo मध्य विद्यालय, पचरुखा के सहायक शिक्षक सुनिल कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस ‘गुरु पर्व’ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद कर पर्व के रुप में मनाया जाता है। जो शिक्षक समुदाय के लिए गौरवपूर्ण एवं सम्मानजनक होता है।
शिक्षक बच्चों के लिए आदर्श एवं रोल मॉडल होते हैं तथा उनका भविष्य गढ़ते हैं। बच्चों का शारीरिक, बौद्धिक एवं शैक्षणिक विकास करते हैं जो आगे चल कर देश समाज का नेतृत्व प्रतिनिधित्व करते हैं।
शिक्षा के स्तर में वृद्धि हुई है, गुरु-शिष्य संबंध एवं परम्परा अपने आप में आनंद की अनुभूति कराता है। सरकार शिक्षकों की वित्तीय समस्या एवं बहुप्रतीक्षित मांग – सहायक शिक्षक एवं राज्य कर्मी का दर्जा एवं पुरानी सेवा शर्त, पेंशन आदि की सुविधा, शिक्षक-छात्र अनुपात में शिक्षकों की बहाली, समान शिक्षा प्रणाली लागू करे तो शिक्षा में और सुधार होगा।