बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने मतगणना की गोपनीयता बनाए रखने के लिए सख्त हिदायत दी है,उसी के बाद इस तरह की सजा देने का प्रावधान किया गया है।आयोग के अनुसार मतगणना हॉल के अंदर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति से वोटों की गिनती की गोपनीयता बनाए रखने और सहायता करने की अपेक्षा की जाती रही है।उससे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी व्यक्ति को ऐसी कोई सूचना नहीं देगा जो गोपनीयता भंग करना माना जाएगा।आयोग के अनुसार बिहार पंचायत अधिनियम, 2006 की धारा 130 (5) के तहत प्रत्येक अधिकारी, लिपिक, अभिकर्ता (एजेंट)या अन्य व्यक्ति जो निर्वाचन में वोटों की गणना उसके लिखने के संबंध में किसी कर्तव्य का पालन करता है, वोटों की गोपनीयता बनाए रखेगा और बनाए रखने में सहायता प्रदान करेगा।

कानून के तहत अधिकृत किसी प्रयोजन के अलावा किसी भी व्यक्ति को गणना से संबंधित कोई सूचना नहीं देगा, जिससे इसकी गोपनीयता भंग हो जाए।

कंट्रोल यूनिट के सील की जाँच की मिलेगी अनुमति

पहली बार राज्य में ईवीएम के माध्यम से होने जा रहे पंचायत चुनाव को लेकर एजेंटों को कंट्रोल यूनिट के सील की जांच की अनुमति देने की तैयारी है।आयोग के अनुसार वोटिंग मशीन की एसडीएमएम में दर्ज वोटों की गणना करने के पूर्व मतगणना मेज पर मौजूद गणन अभिकर्ताओं को जांच की अनुमति दी जाने की तैयारी है।

उन्हें बाहरी स्ट्रीप सील, स्पेशल टैग, ग्रीन पेपर सील एवं ऐसी अन्य महत्वपूर्ण सीलों, जो कैरिंग-केस और कंट्रोल यूनिट पर लगायी गयी हो, उसके निरीक्षण करने और अपना समाधान कर लेने की अनुमति दी जाएगी कि सील लगा हुआ है तथा कंट्रोल यूनिट में फिट किए गए एसडीएमएम के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं हुई है। साथ ही कंट्रोल यूनिट या एसडीएमएम के साथ छेड़छाड़ पर वोटों की गिनती नहीं की जाएगी।आयोग के अनुसार यदि यह पाया गया कि किसी कंट्रोल यूनिट या एसडीएमएम के साथ छेड़छाड़ की गयी है तो उस मशीन में दर्ज किए गए वोटों की गिनती नहीं की जाएगी और इस मामले की रिपोर्ट आयोग को आगे का निर्देश देने के लिए दी जाएगी। इस तरह से देखा जाए तो बिहार पंचायत चुनाव में पहले कि स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि इस बार का चुनाव नए रंग में कराने की तैयारी में है।

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