Badan Singh Baddo Biography. आंखों पर लाखों के चश्मे हाथों में रैडो और रोलैक्स की घड़ियां एक ऐसा कुख्यात गैंगस्टर जो दुनिया को रंगमंच और खुद को एक कलाकार समझाता है। जो शेक्सपियर का बहुत बड़ा फैन है। उसके जुर्म की फ़ेहरिस्त इतनी लंबी है कि जुर्म भी उसका नाम सुनकर काँप उठे। उसे ना सुनना पसंद नहीं। वह दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर हथियारों का धंधा बड़े आराम से करता है। जी हाँ हम बात कर रहे है ढाई लाख का इनामी कुख्यात गैंगस्टर बदन सिंह बद्दो के बारे में।
8वीं पास मेरठ का कुख्यात बदन सिंह बद्दो फ़िलहाल दो साल से फरार है।
जानिए कौन है माफिया बदन सिंह बद्दो
बद्दो की हिस्ट्र्रीशीट 26 सालों से चली आ रही है। मेरठ के टीपी नगर थाना क्षेत्र के पंजाबीपुरा का रहने वाला बदन सिंह बद्दो लगभग 26 साल पहले एक मामूली सा ट्रक ड्राइवर था। फिर, मारपीट और जानलेवा हमले की छोटी-मोटी घटनाओं में उसका नाम मुख्यारोपियों में आने लगा। धीरे-धीरे उसके क्राइम की गति बढ़ने लगे और बदन सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात सुशील मूंछ और भूपेंद्र बाफर के संपर्क में आया। यहां से वह लगातार अपराध जगत की सीढ़ियां चढ़ता गया।
1970 में बदन सिंह बद्दो के पिता चरण सिंह जालंधर से मेरठ के पंजाबीपुरा में आकर बस गए। ट्रक चलाकर सात बेटे-बेटियों की जरूरतों को पूरा कर रहे थे। बदन सिंह सबसे छोटा था। 8वीं क्लास के बाद स्कूल जाने की जरूरत नहीं समझी। पिता के साथ कभी-कभी ट्रक चलाने चला जाता, लेकिन यहां भी मन नहीं लगा।
बदन सिंह मुहल्ले के छोटे बदमाशों के जरिए पश्चिमी UP के सबसे बड़े बदमाश सुशील मूंछ और भूपेंद्र बाफर से मिल गया। यहां उसका मन लग गया। इलाके में दबदबा स्थापित करने के लिए मारपीट करने लगा। पैसे की जरूरत लगी तो शराब के धंधे में उतर आया। हरियाणा और दिल्ली बॉर्डर होने के कारण उसने शराब तस्करी से खूब पैसा कमाया।
आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है
कुख्यात बदन सिंह के खिलाफ हत्या से लेकर जमीन कब्जा करने तक सैकड़ों केस दर्ज हैं। साल 2011 में सदर थाना क्षेत्र में हुई बसपा जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर की हत्या में बद्दो वॉन्टेड है। इतना ही नहीं, एडवोकेट देवेंद्र गुर्जर हत्याकांड में बद्दो को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। इससे आप समझ सकते हैं बद्दो पश्चिमी यूपी का कितना बड़ा माफिया है।
सरेआम हत्या कर दी
बदन सिंह बद्दो ने साल 1988 में पहली हत्या की, उसने मेरठ के गुदरी बाजार कोतवाली इलाके में राजकुमार नाम के व्यक्ति की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। यहां से उसका नाम मेरठ से निकलकर हापुड़, गाजियाबाद और बागपत तक पहुंच गया। बदमाशों के बीच चर्चा शुरू हो गई कि बदन सिंह नाम का नया गैंगस्टर आ गया है, जिसे न सुनना पसंद नहीं है।
वकील की सरेआम हत्या
बदन सिंह ने शराब से खूब पैसा कमा लिया। लाइफ स्टाइल बदल गई। लोग बताते हैं कि उसे टोका-टाकी पसंद नहीं थी, वकील रवींद्र गुर्जर बद्दो के काम में अड़ंगा लगा रहे थे। बद्दो को ये बर्दाश्त नहीं हुआ और रवींद्र गुर्जर की सरेआम हत्या करके फरार हो गया। पुलिस ने केस दर्ज किया और जांच शुरू की।
सफेदपोश नेताओं और अधिकारियों का हो गया खास
साल 2000 के बाद से बदन सिंह नेताओं को मोटी फंडिंग करने वाला बन गया था। यही कारण है कि उसके धंधों पर हाथ डालने से अधिकारी पीछे हटने लगे। बदन सिंह एकदम लग्जरी लाइफ जीने लगा। आंखों पर लाखों के चश्मे लगाता। हाथों में रैडो और रोलैक्स की घड़ियां पहनता। घर से निकलता तो बुलेट प्रूफ BMW और मर्सडीज कार से ही चलता। विदेशी हथियारों से लैस बॉडीगार्ड और बाउंसर हमेशा उसके पीछे खड़े रहते।
दिल्ली और पंजाब में कई मामले
बदन सिंह अपराध पर अपराध करते हुए आगे बढ़ रहा था। 2011 में उसने मेरठ के हस्तिनापुर क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य संजय गुर्जर की गोली मारकर हत्या कर दी। साल 2012 में उसने केबल नेटवर्क के संचालक पवित्र मैत्रे की हत्या कर दी। इन हत्याओं के अलावा बदन सिंह के खिलाफ दिल्ली और पंजाब में किडनैपिंग, जमीन कब्जाने के कई केस दर्ज हुए। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार उस पर इस वक्त तक 34 केस दर्ज हैं।
अरे बद्दो तुम यहां थाने में….
2012 में बद्दो को पुलिस ने धमकी देने के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया। लालकुर्ती थाने ले गए तो थानेदार से लेकर SSP तक हैरान रह गए। थानेदार के मुंह से एकाएक निकल आया, “अरे बद्दो तुम यहां कैसे?” बद्दो देखा और मुस्कुरा दिया। बद्दो थाने में बैठा था और बाहर कई बड़े कारोबारी पहुंच आए। अगले दिन बद्दो को कचहरी लाया गया तो वहां भी सारे बड़े कारोबारी उसके पीछे चल रहे थे।
रवींद्र हत्याकांड में उम्रकैद की सजा
31 अक्टूबर 2017 को रवींद्र गुर्जर हत्याकांड में गौतमबुद्धनगर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 9 गवाहों की गवाही के बाद बदन सिंह बद्दो को उम्रकैद की सजा सुनाई। सजा के ऐलान होते ही बदन सिंह रो पड़ा। इस सजा के 18 दिन पहले, यानी 13 अक्टूबर को बदन सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी। उसमें लिखा था, “जब गिला शिकवा अपनों से हो तो खामोशी ही भली, अब हर बात पर जंग हो यह जरूरी तो नहीं।” लोग बताते हैं कि उसे सजा का एहसास हो गया था।
17 महीने बाद फरार हो गया बदन सिंह
28 मार्च 2019, संजय गुर्जर मर्डर मामले में पेशी के लिए बदन सिंह को फतेहगढ़ जेल से गाजियाबाद कोर्ट लाया गया। सुनवाई पूरी हुई और वापस जेल की तरफ काफिला चला। बद्दो ने पुलिसवालों को मेरठ के रास्ते फतेहगढ़ चलने के लिए राजी कर लिया। मेरठ पहुंचा तो गाड़ी को अपने शेयर वाले थ्री स्टार मुकुट महल होटल पर रुकवाया। यहां पुलिस के लिए शराब-शबाब और कबाब की शानदार व्यवस्था थी। पुलिसवाले शराब के नशे में खो गए और बद्दो फरार हो गया।
ये बयान पुलिस का है। अब असली कहानी समझिए,……
भगाने में पुलिस का भी हाथ
सुबह 11.30 बजे पुलिस की गाड़ी मुकुट महल होटल पहुंची। 11.45 मिनट पर बदन सिंह वहां पहले से खड़ी अपनी लग्जरी गाड़ी से फरार हो गया। साढ़े पांच घंटे बाद शाम के 5.20 बजे दरोगा देशराज त्यागी ने बदन सिंह के भागने की जानकारी टीपी नगर थाने को दी। अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों की गलती मानते हुए दो दरोगा, तीन सिपाही और दो ड्राइवर को निलंबित कर दिया।
सुबह 11.30 बजे पुलिस की गाड़ी मुकुट महल होटल पहुंची। 11.45 मिनट पर बदन सिंह वहां पहले से खड़ी अपनी लग्जरी गाड़ी से फरार हो गया। साढ़े पांच घंटे बाद शाम के 5.20 बजे दरोगा देशराज त्यागी ने बदन सिंह के भागने की जानकारी टीपी नगर थाने को दी। अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों की गलती मानते हुए दो दरोगा, तीन सिपाही और दो ड्राइवर को निलंबित कर दिया।
पुलिस ने बेटे को पकड़ा तो पत्नी का ऑस्ट्रेलिया से फोन आ गया
बद्दो भागा तो पुलिस ने चार स्पेशल टीम बना दीं। छापेमारी की गई। उससे जुड़े कई कारोबारियों को उठाकर जेल में डाल दिया गया। बेटे सिकंदर पर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया और उसे भी बाद में पकड़ लिया गया। बदन सिंह की तलाकशुदा पत्नी जैसमिन ने ऑस्ट्रेलिया से मेरठ के SSP को फोन कर दिया। कहा, मेरा बेटा सिकंदर बेकसूर है। बद्दो के गलत कामों की सजा उसे न दें। पुलिस ने कह दिया कि जांच होगी, अगर गलत नहीं पाए गए तो छोड़ देंगे।
दो साल बीते पर पुलिस नहीं खोज पाई
दो साल बीत गए। पुलिस की चार टीमें लगीं लेकिन बद्दो को खोज नहीं पाईं। अब माना जाता है कि बद्दो नीदरलैंड और मलेशिया में अपना ठिकाना बना चुका है और वहीं से वह अवैध हथियारों का धंधा करता है। पुलिस ने 2 दिसंबर 2020 में उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया। मेरठ पुलिस ने इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की, लेकिन इंटरपोल ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि बद्दो के पासपोर्ट पर कोई एंट्री ही नहीं है।
योगी सरकार अब कर रही संपत्ति जब्त
20 जनवरी 2021 को मेरठ नगर निगम के अधिकारी मनोज सिंह दो बुलडोजर और 20 मजदूर लेकर पंजाबीपुरा पहुंचे और बद्दो की आलीशान कोठी को तोड़ दिया। नवंबर 2020 में बद्दो की संपत्ति कुर्क की गई थी। प्रशासन को बद्दो की दर्जनों लग्जरी गाड़ियां नहीं मिल सकीं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह गाड़ी को दूसरों के नाम खरीदता था। फिलहाल 700 से अधिक दिन बीत गए। STF, क्राइम ब्रांच और दूसरे राज्यों की स्पेशल पुलिस बद्दो का पता नहीं लगा सकी हैं।