East Champaran: जानिए महात्मा गांधी की कर्म भूमि चम्पारण के बारे में
Motihari. मोतीहारी बिहार राज्य के पूर्वी चंपारण जिले का मुख्यालय है। यह बिहार की राजधानी पटना से 152 किमी दूर तथा बिल्कुल नेपाल की सीमा से लगा हुआ है। इसे चंपारण के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीनकाल में यहाँ चंपा के जंगल हुआ करते थे, इसी कारण इसका नाम चंपारण पड़ा।
महात्मा गाँधी की कर्म भूमि
ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस जिले को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीनकाल में मोतिहारी राजा जनक के साम्राज्य का अभिन्न भाग था। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गाँधी ने तो अपने राजनीतिक आंदोलन की शुरुआत यही से की थी। यही चम्पारण उनकी कर्मभूमि बना।आज मोतिहारी एक एजुकेशन हब के रूप में उभर कर सामने आया है ।यहाँ आपको विभिन्न कोचिंग इंस्टीटूट्स मिल जायेंगे जिनमे स्कूलिंग से लेकर RAILWAYS, SSC, BPSC, UPSC तक की तैयारी कराई जा रही है। दूर दराज़ से बच्चे यहाँ पढ़ने आते हैं ।
अगर पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो यहाँ सीताकुंड, अरेराज, केसरिया, चंडी स्थान जैसे खूबसूरत जगह घूमने लायक है।
भूगोल:
मोतीहारी की स्थिति 26.65°N 84.92°E पर है। समुद्रतल से इसकी औसत ऊंचाई 62 मीटर (203 फीट) हैं। यहां की जलवायु कोपेन जलवायु वर्गीकरण के उप-प्रकार आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय है। जलवायु में उच्च तापमान और समान रूप से वर्ष भर वितरित वर्षा की विशेषता है।
जनसंख्या (Population of Motihari) :
वर्ष 2011 के सेन्सस के अनुसार 2011 में मोतिहारी की जनसंख्या 1 लाख 25 हजार183 थी, जिनमें से पुरुष और महिला क्रमशः 67,438 और 57,745 हैं। मोतिहारी शहर का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 856 है, यानी यहाँ प्रत्येक एक हजार पुरुषो पर 856 महिलाएं है। मोतिहारी शहर में कुल साक्षरताएं 94,926(87.20 %) हैं, जिनमें 52,904 (90.36%) पुरुष हैं जबकि 42,022(83.52%) महिलाएं हैं। 2011 की जनगणना इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मोतिहारी शहर में 0–6 आयु वर्ग के बच्चे 16,325 हैं। 8,891 लड़के और 7,434 लड़कियां थीं। लड़कियों का बाल लिंगानुपात प्रति 1,000 लड़कों पर 836 है।
मोतिहारी का दिल मोतीझील
शहर के बीचो-बिच मोतीझील (Motijheel Lake) स्थित है, जो शहर के खूबसूरती में चार चाँद लगाती है।
मोतिहारी के प्रमुख बाज़ार :
मीना बाजार, राजा बाजार, बलुआ बाजार, जानपुल बाजार तथा छतौनी बाजार
प्रमुख शिक्षण संसथान (List of All Colleges In Motihari) :
Government High Schools in Motihari:
Top Private CBSE School in Motihari :
Government Hospital in Motihari :
मोतिहारी का सरकारी अस्पताल सदर अस्पताल (Sadar Hospital, Motihari) है। जो हॉस्पिटल चौक पर स्थित है।
Motihari Top Private Hospital :
प्रमुख सिनेमा हॉल :
मोतिहारी के प्रमुख सिनेमा हॉल पायल, संगीत और माधव हैं।
प्रमुख मॉल (Top Malls in Motihari):
यहाँ हाल ही के दिनों में कई मॉल खुले है उनमे V Bazaar, Fashion Souk, Rj Plaza Shopping Mall , V-MART, V2 Mall, Me N Moms Mall, Bazaar India, Delhi Bazaar और CARIBEX MALL इत्यादि है।
Top Restaurants in Motihari
मोतिहारी में आपको कई अच्छे Restaurants मिल जाएंगे जैसे FOOD MART, The Annapurna Restaurant, Delhi Zaika, Food Plaza Restaurant, Domino’s Pizza, Laziz Pizza, Hotel Jai Bharat, Varsha Restaurant, Elchiko Restaurant, The Zen Restaurant and 7th Heaven
घूमने लायक प्रमुख स्थल (Top Tourist Places Near Motihari) :
गांधी स्मृति पार्क (Gandhi Memorial Chandrahiah)
चंपारण सत्याग्रह और भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के इतिहास में ‘चंद्रहिया’ का ऐतिहासिक महत्व है। चंपारण के एक पीड़ित किसान पंडित राजकुमार शुक्ल के भगीरथ प्रयत्नों से दिनांक 15 अप्रैल 1917 को महात्मा गांधी का आगमन मोतिहारी में हुआ था।
गांधी संग्रहालय-सह-वाचनालय (Gandhi Sangrahalaya)
गांधी संग्रहालय-सह-वाचनालय शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है, जिसमें चंपारण सत्याग्रह से संबंधित कई महान नेताओं के कार्यों, तस्वीरों और निशानियों का एक अनोखा संग्रह दिखाया गया है। यह मोतिहारी के बेली सराय में स्थित है
सत्याग्रह स्मारक स्तंभ, बेली सराय, मोतिहारी, पूर्वी चंपारण
मोतिहारी शहर के बेली सराय में स्थित सत्याग्रह स्मारक स्तंभ की आधारशिला 10 जून 1972 को तत्कालीन राज्यपाल देवकान्त बरुआ द्वारा रखी गई थी और इसे 18 अप्रैल 1978 को गांधीवादी श्री विद्याकर कवि द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इस स्मारक स्तंभ को शांति निकेतन के प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस ने महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह की स्मृति में तैयार किया है।
मिर्जा हलीम शाह मजार, मेहसी, पूर्वी चंपारण:
विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मिर्जा हलीम शाह चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का मेहसी स्थित मजार देश-दुनिया में साम्प्रदायिक सौहार्द के मिशाल के रूप में जाना जाता है। खास कर बकरीद के मौके पर यहां भव्य मेला का आयोजन होता है, जिसमें देश के कोने-कोने से अकीदतमंद यहां तशरीफ लाते हैं और दाता के दरबार में हाजरी लगाते हैं।
युग्म पंचमुखी शिव मंदिर (आनंदेश्वर शिव मंदिर), धनही, सुगौली, पूर्वी चंपारण
4 मार्च 1816 को सुगौली (पूर्वी चंपारण) में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी। संधि की स्मृति में संधि स्थल पर उसी वर्ष बेतिया के तत्कालीन महाराज आनंद किशोर सिंह द्वारा युग्म पंचमुखी शिव मंदिर की स्थापना की गई थी। चूंकि मंदिर का निर्माण महाराज आनंद किशोर द्वारा करवाया गया था, अतः इसे आनंदेश्वर शिव मंदिर भी कहा जाता है। युग्म पंचमुखी शिव मंदिर बेतिया राज की विरासत थी। यहां बेतिया महारानी अक्सर आया करतीं थी।
बाबा केशर नाथ महादेव मंदिर, केसरिया
मोतिहारी शहर से 52 किलोमीटर दूर केसरिया स्थित बाबा केशर नाथ महादेव मंदिर अपने आप में अद्वितीय है। यह मंदिर उत्तर बिहार के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां उत्तर बिहार के सभी जिलों समेत पड़ोसी देश नेपाल से भी भरी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करने आते हैं। बाबा केशर नाथ महादेव मंदिर के शिवलिंग की उत्पत्ति 10 जून 1970 को दिन के दो बजे हुई थी।
मां शक्ति पीठ मंदिर (जालपा धाम सचा दरबार), हरदिया, अरेराज
अरेराज के हरदिया में स्थित मां शक्ति पीठ मंदिर (जालपा धाम सचा दरबार) अपने गौरवशाली अतीत के कारण इतिहास के पन्नों में दर्ज है। कोलाहल से दूर सुनसान जगह पर स्थापित माता जालपा का यह मंदिर चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार होने लगता है। मंदिर की बनावट और पास स्थित टीले को देखकर लगता है कि इस स्थान का जुड़ाव इतिहास से रहा है। सती माता की जीह्वा इसी स्थान पर गिरी थी, जो माता के ‘पड’ के रूप में स्थापित हुई थी। मंदिर में माता जालपा की मिट्टी की पिंडी की पूजा की जाती है। मां शक्ति पीठ मंदिर 51 सिद्धपीठों में से एक माना जाता है।
अशोक स्तंभ, लौरिया
अरेराज प्रखंड के लौरिया गांव में सम्राट अशोक ने 249 ई.पू. में सात ठोस पत्थरों के स्तंभों पर धर्मलेख खुदवाया था जिसे अशोक स्तंभ के नाम से जाना जाता है। इस धर्मलेख स्तंभ का वजन 34 टन है। वहीं इसकी ऊंचाई 36 1/2 फीट है। इस स्तंभ के उपर का सिंह नहीं है, जो शायद टूट जाने के कारण कोलकाता संग्रहालय में रखा हुआ है। इस स्तंभ पर 41 पंक्तियों में नागरिकों को मानव धर्म का पालन करने एवं पराचर मैत्री का संदेश है। स्तंभ स्थल को पर्यटन विभाग ने घेराबंदी कर संरक्षित कर दिया है।
सीताकुंड (पीपरा)
मोतिहारी से 16 किमी दूर पीपरा रेलवे स्टेशन के पास यह कुंड स्थित है।
पूर्वी चंपारण जिले के चकिया प्रखंड अंतर्गत पीपरा स्थित पौराणिक सीताकुंड का संबंध माता सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से है। बताया जाता है कि त्रेतायुग में इस पवित्र कुंड में स्नान करने के बाद भगवान राम की पत्नी माता सीता ने शिवलिंग स्थापित करके भगवान शंकर की आराधना की थी।
सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर, अरेराज
मोतिहारी से 28 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित अरेराज में भगवान शिव का प्रसिद्द मंदिर है, जो श्री सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर कहलाता है। बिहार में तीन शिव धाम प्रसिद्ध हैं, जिनमें अरेराज के सोमेश्वरनाथ का स्थान सबसे ऊपर है। इसके बाद मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ व बक्सर के ब्रह्मेश्वरनाथ आते हैं। माना जाता है कि सोमेश्वरनाथ एक कामनापरक पंचमुखी शिवलिंग है, जिसपर सावन महीने में कमल का फूल व गंगा जल चढ़ाने से सारी मनोकामना पूरी होती हैं।
केसरिया बौद्ध स्तूप (Kesariya Buddha Stupa)
केसरिया बौद्ध स्तूप मोतिहारी से लगभग 55 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा 1998 ईसवी में खुदाई के दौरान यहां पर बौद्व स्तूप मिला था। माना जाता है कि यह स्तूप विश्व का सबसे बड़ा बौद्व स्तूप है। पुरातत्व विभाग के एक रिपोर्ट के मुताबिक जब भारत में बौद्व धर्म का प्रसार हुआ था तब केसरिया स्तूप की लंबाई 150 फीट थी तथा बोरोबोदूर स्तूप (जावा) की लंबाई 138 फीट थी। वर्तमान में केसरिया बौद्व स्तूप की लंबाई 104 फीट तथा बोरोबोदूर स्तूप की लंबाई 103 फीट है। पुरातत्व विभाग के आकलन के अनुसार इस स्तूप का निर्माण लिच्छवी वंश के राजा द्वारा बुद्व के निर्वाण प्राप्त होने से पहले किया गया था। वही इतिहासकारो के अनुसार चौथी शताब्दी में चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग ने भी इस जगह का भ्रमण किया था।
प्रसिद्ध व्यंजन :
मोतिहारी अपने बहुत से स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी मशहूर हैं जैसे छेना मुरकी, केसरिया पेड़ा, खाजा, मालपुआ, खुरमा, ठेकुआ, तिलकुट, मुरब्बा। चम्पारण हांड़ी मीट भी यहाँ का प्रसिद्ध व्यंजन है जिसे अहुना भी कहते ,यह अब पुरे भारत में प्रसिद्ध हो चुका हैं । न्यूज़24बाईट #News24Bite