जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पदयात्रा का यही उद्देश्य है कि समाज में मौजूद वैसे लोगों को ढूँढ कर निकालना है जो अपने बच्चों के लिए नई व्यवस्था बनाना चाहते हैं। जो जातिबल, बाहूबल, विचारधारा और दलों के दलदल से बाहर निकलकर अपने बच्चों के लिए खड़ा होना चाहते हैं। उन लोगों के साथ मिलकर एक नई व्यवस्था बनानी है। आप संसाधन की चिंता मत कीजिए, आप जातिबल, बाहूबल की चिंता मत कीजिए। वो चिंता आप अपने बेटे, अपने भाई प्रशांत किशोर पर छोड़िए, और अपने बच्चों के लिए खड़े हो जाइए। आप अपना विकल्प बनाइए, अगर आपके पास साधन नहीं है और संसाधन नहीं है तो जन सुराज के माध्यम से हम आपको संसधान देंगे, व्यवस्था देंगे और चुनाव लड़ने की समझ देंगे। लेकिन उसके लिए आपको अपने बच्चे के लिए खडा़ होना पड़ेगा। अगर आप ये सोचते हैं कि कोई मंगल ग्रह से आकार इसको सुधार सकता है तो ऐसा नहीं होने वाला। अगर आप दाल-भात-चोखा खाकर सोए रहिएगा तो बिहार का सुधार नहीं हो पाएगा।
जन सुराज पदयात्रा के दौरान वैशाली में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के बच्चे बिहार से बाहर जाते हैं, कोई पढ़ने के लिए, कोई मजदूरी के लिए और वहां जिसका मन होता है वो बिहार के बच्चों को मार देता है, जिसका मन होता है वो गाली दे देता है। बिहार के लोगों को बिहारी कह कर बुलाया जाता है। उनको लगता है बिहारी मतलब बेवकूफ, मूर्ख। क्या हम सब मूर्ख हैं? नहीं! यहां के नेताओं ने हम लोगों को मूर्ख बना कर रखा हुआ है। बिहार के पूर्वजों ने 1500 सालों तक देश की व्यवस्था बिहार से चलाई है लेकिन आज बिहार की दुर्दशा ऐसी है की जिस बिहार में पूरे भारत से लोग पढ़ने आते थे जहां से पूरे भारत की राजनीति चलती थी, आज उस बिहार के बच्चों को पढ़ाई और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जलील होना पड़ता है।