Rajan Tiwari Biography. बिहार में अपराध की दुनिया से निकलकर सियासी पारी खेलने वाले नेताओं की लंबी फेहरिस्त है उनमे एक नाम है राजन तिवारी। उनके दामन पर यूं तो गुनाहों के कई दाग हैं, लेकिन सियासत के रसूख से उन्हें अलग पहचान मिलती है। जनता की जुबान में उन्हें कभी अपराधी तो कभी बाहुबली कहा जाता है। राजन तिवारी ऐसे बाहुबली हैं जिनका जलवा दो राज्यों यूपी और बिहार दोनों जगह रहा है।
कभी श्रीप्रकाश शुक्ला का था दाहिना हाथ
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के सोहगौरा गांव में जन्में राजन तिवारी ने कॉलेज के समय ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। 90 के दशक में यूपी के सबसे कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला के संपर्क में आने के बाद राजन तिवारी का नाम कई अपराधों में सामने आया। श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ जुड़े मामलों में भी राजन तिवारी शामिल रहे जिससे उनकी गिनती बाहुबलियों में होने लगी।
1995 से 1998 के बीच राजन तिवारी के नाम से पूर्वांचल और बिहार थर थर कांपता था।
पहली बार राजन तिवारी पुरे देश भर में पर तब फेमस हुए जब यूपी सरकार के विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में उनका नाम आया। यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही मूल रूप से गोरखपुर कैंट के निवासी थे। 24 अक्टूबर 1996 को वह गोलघर कार्यालय से अपने घर जा रहे थे, वे कैंट में एक लॉज के पास पहुंचे तो उनकी कार पर बदमाशों ने जमकर फायरिंग की थी। इस हमले में शाही की मौत हो गई। इस वारदात में माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी समेत चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। हालांकि सबूतों के अभाव में राजन तिवारी को 2014 में बरी कर दिया गया था।
जान के डर से बिहार की तरफ किया रुख
कई बड़े अपराध को अंजाम देने के बाद राजन तिवारी यूपी पुलिस के लिए वॉन्टेड बन चुके थे, तभी उत्तरप्रदेश पुलिस ने श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर कर दिया जिसके बाद राजन तिवारी ने अपनी जान बचाने के लिए बिहार का रुख कर लिया। यहां आकर उन्होंने फिर से गैंग बना लिया। यूपी पुलिस के डर से राजन तिवारी बिहार में रहकर ही अपने डर के साम्राज्य को चलाने लगे।
इसी दौरान 1998 में राजन तिवारी का नाम बिहार सरकार के मंत्री एवं लालू के बेहद करीबी बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में आया। कहा जाता है कि रॉबिनहुड के नाम से मशहूर बाहुबली विधायक देवेंद्र नाथ दुबे के हत्या का बदला लिया गया था। पुलिस ने इस हत्या के आरोप में राजन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया। निचली अदालत से आजीवन करावास की सजा भी हुई, लेकिन सबूतों के अभाव में वह साल 2014 में पटना हाईकोर्ट से बरी हो गए।
राजन तिवारी बहुचर्चित माकपा विधायक अजीत सरकार के हत्याकांड में भी आरोपी रह चुके हैं। राजन तिवारी के अलावा इस मामले में पप्पू यादव भी सजा काट चुके हैं। हालांकि इस मामले में भी पटना हाईकोर्ट ने दोनों को बरी कर दिया था।
मंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में राजन तिवारी 15 साल चार महीने जेल में रहे, लेकिन सियासत के गलियारे में उनका रसूख बना रहा। इसकी वजह यह रही कि जेल जाने से पहले ही राजन तिवारी ने बिहार में सियासी जमीन तलाश ली थी वह राजनीति में सक्रिय हो गए थे।
पहली बार विधायक बने
राजन तिवारी बिहार के गोविंदगंज क्षेत्र से वर्ष 2000 में निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। लंबे समय तक विधायकी से दूर रहने के वावजूद उनके रसूख में थोड़ी भी कमी नहीं आई है। जेल से बाहर आने के बाद 2014 में राजन तिवारी ने राजद पार्टी ज्वाइन कर लिया लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज तिवारी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ले ली थी। बता दे, राजन तिवारी कभी लालू के बेहद करीबी माने जाते थे, कई दफा वें लालू यादव के साथ भी दिखे। वही 202 2 के यूपी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा से नाराज भी चल रहे है।
विगत कुछ वर्षो में राजन तिवारी एक ब्रह्मण नेता के तौर पर काफी तेजी से उभरे है। वे काफी आक्रमकता और मुखरता के साथ ग़रीबों ओर पिछड़ों के न्याय के लिए अक्सर आवाज उठाते रहते है। आज भी उनकी पहचान क्षेत्र में रॉबिनहुड की है।
किंग मेकर की भूमिका में
राजन तिवारी का लगभग सभी पार्टियों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध है। हाल ही में हुए (2022) मोतिहारी जिला परिषद चेयरमैन और विधान परिषद चुनाव में राजन तिवारी की भूमिका किंग मेकर की रही। कहा जा रहा है कि राजद नेता को चेयरमैन बनाने में उनकी भूमिका अहम् रही है।
राजन तिवारी, पप्पू यादव, सूरजभान सिंह की तिकड़ी रही है फेमस
एक समय में राजन तिवारी, सूरजभान सिंह और पप्पू यादव की तिकड़ी काफी फेमस रही है। तीनों अपने अपने इलाके बाहुबली रहे हैं। हालांकि सूरजभान सिंह पहले निर्दलीय फिर एलजेपी के टिकट पर विधायक और सांसद रह चुके हैं। वहीं पप्पू यादव आरजेडी के टिकट पर सांसद रहे। अब वह अपनी पार्टी चला रहे हैं।
बता दे राजन तिवारी के भाई का नाम राजू तिवारी है वे भी गोविंदगंज सीट से लोजपा के टिकट पर 2015 में विधायक रह चुके है। 2020 के चुनाव में हार गए थे। फ़िलहाल वें लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष है। उनकी माँ कांति देवी अरेराज ब्लॉक प्रमुख है।
भाई भी रहें विधायक
बता दे राजन तिवारी के भाई का नाम राजू तिवारी है वे भी गोविंदगंज सीट से लोजपा के टिकट पर 2015 में विधायक रह चुके है। 2020 के चुनाव में हार गए थे। फ़िलहाल वें लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष है। उनकी माँ कांति देवी अरेराज ब्लॉक प्रमुख है।
फ़िलहाल राजन तिवारी बिहार की राजनीती में पूरी तरह सक्रिय है। उनके साथ जनाधार भी है एवं युवाओं का प्रेम भी।