समस्तीपुर. एक बड़ा ही अजीबोगरीब मामला समाने आया है बिहार के समस्तीपुर से जहां विद्यापतिनगर प्रखंड के शेरपुर दियारा गावं में
कुत्ते की मौत के बाद मालिक ने हिंदू रीति-रिवाज से उसको अंतिम विदाई देकर पशु-प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है। बैंड-बाजा के बीच टोनी (कुत्ता) की शवयात्रा निकाली गई थी।
कुत्ते के मालिक का नाम नरेश साह बताया जा रहा है। वही शवयात्रा में शामिल लोग कुत्ते को मरणोपरांत दिए जा रहे सम्मान के लिए नरेश साह की सराहना कर रहे थे।
ठेले पर फूल मालाएं और साउंड सिस्टम
टोनी की शव यात्रा के लिए सारे इंतजाम किए गए थे। एक ठेले पर उसका शव रखा। शव पर फूल मालाएं और कफन से शव को लपेट कर रखा गया तह। साउंड सिस्टम भी ठेले पर ही लगाया गया। तेरी महरबानियां गाने के साथ कुत्ते की याव यात्रा निकाली गयी। फिर क्या था, जहां-जहां से ये शव यात्रा निकली, लोग जुड़ते चले गए।
टाॅनी के सम्मान में ग्रामीणों ने उसके शव के ऊपर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजली अर्पित की। महिलाओं ने शव पर अबीर, गुलाल और सुगंधित इत्र लगाए। उसके लिए बांस की अर्थी बनवायी गयी और बैंड-बाजे के साथ निकली शव यात्रा में लोगों का हुजुम उमड़ पड़ा।
आज एक ओर जहां प्रतिदिन मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हर रोज सामने आती रहती हैं, वहीं एक कुत्ते के मरने के बाद पूरे विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार कर उसकी वफादारी को सम्मान देना पशु-प्रेम का नायाब उदाहरण पेश कर रहा था ।
बता दे, पेशे से ग्रामीण चिकित्सक नरेश कुमार ने करीब 12 साल पहले सोनपुर मेला से टोनी को खरीद कर लाया था। बचपन से ही उसे बड़े प्यार से पाला था। घर के सदस्यों की तरह रहने वाला टोनी आसपास के लोगों की आंखों का भी तारा था। टोनी की मौत के बाद सबने मिलकर उसे ऐसी विदाई देने की सोची, जो लोगों के लिए प्रेरणा बन सके। टोनी की मौत के बाद उसके लिए अर्थी बनवायी और उसकी अंतिम यात्रा निकाली गयी, जिसमें उससे लगाव रखने वाले बहुत सारे लोग शामिल हुए। गंगा की सहायक वाया नदी किनारे टोनी को दफनाया गया।
नरेश शाह ने बताया कि टोनी मेरे लिए सिर्फ कुत्ता नहीं, बल्कि हमारे परिवार का रक्षक भी था। वह हम सभी के जिंदगी का एक हिस्सा था, जिसने पूरी वफादारी और ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाई। उसके लिए ये कुत्ता काफी भाग्यशाली था। वो कुत्ता जब से उसके घर आया था, तब से काफी तरक्की हुई।