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UP की चित्रकूट जेल में मुख्तार गैंग के मेराज समेत दो बदमाशों की हत्या, एनकाउंटर में गैंगस्टर अंशु दीक्षित भी मारा गया

  • अंशु मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था

News24 Bite

May 14, 2021 4:59 pm

Uttar Pradesh. गली मोहल्लों और सड़कों पर तो आप गैंगवार की खबरों को सुनते ही रहते है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश के जेलों में भी गैंगवार शुरू हो गई है। जी हाँ शुक्रवार को राज्य के चित्रकूट जेल में कैदियों के बीच गोलीबारी हुई है। इसमें वेस्ट UP के गैंगस्टर अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी है। मेराज बनारस जेल से भेजा गया था, जबकि मुकीम काला सहारनपुर जेल से लाया गया था।

वही घटना की सूचना पर पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने अंशु दीक्षित को सरेंडर करने के लिए कहा, लेकिन वह लगातार फायरिंग करता रहा। जिसके बाद पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अंशु भी मारा गया।

नाश्ते के साथ अंशु तक पहुंचाई गई पिस्टल

वही इस गोलीबारी में अब जेल प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध नजर आने लगी है। जांच की सुई भी जेल कर्मियों की तरफ घूम गई है, लेकिन वारदात कैसे हुई? कोई अफसर इस पर बात करने को तैयार नहीं है। जेल सूत्राें के मुताबिक सुबह 9:30 बजे जेल के आदर्श कैदी सभी बैरकों में जाकर नाश्ता बांट रहे थे। इसके थोड़ी देर पहले ही कैदियों की गिनती खत्म हुई थी और ज्यादातर कैदी बैरक से बाहर मैदान में थे। इसी दौरान बाल्टी में कच्चा चना और गुड़ लेकर दो कैदी अंशु की बैरक में दाखिल हुए। वह चना देकर जैसे लौटे अंशु ने 9MM पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग कर मेराज और मुकीम की हत्या कर दी। इससे साफ होता है कि नाश्ते के साथ ही पिस्टल भी अंशु तक पहुंचाई गई थी।

जानकारी के मुताबिक, वेस्ट UP का कुख्यात बदमाश अंशु दीक्षित ने सुबह की परेड के बाद अपने साथ बंद मेराज अहमद और मुकीम काला पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दिया। हमले में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद अंशु जेल के भीतर ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगा।अंशु 5 अन्य बंदियों को भी मारने की धमकी दे रहा था। करीब आधे घंटे तक जेल कर्मी खौफ में उसके करीब नहीं गए। बाद में पुलिस आने पर उसकी घेराबंदी करके एनकाउंटर हुआ। ये भी बताया जा रहा है कि अंशु दीक्षित ने मुकीम, मेराज के अलावा तीन अन्य कैदियों पर भी हमला किया था।

अंशु ने काला को मारने की सुपारी ली थी

जेल की सुरक्षा में इतनी बड़ी सेंध कैसे लगी? अफसर यह बताने को तैयार नहीं हैं। बदमाश अंशु दीक्षित के पास पिस्टल कहां से आई? यह एक बड़ा सवाल है। अंशु दीक्षित UP का कुख्यात अपराधी था। बताया जा रहा है कि उसने काला को मारने की सुपारी ली थी। इसे अंजाम देने के लिए उसने सेटिंग से चित्रकूट जेल में अपना ट्रांसफर करवाया था।

अंशु दीक्षित

अंशु कभी मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था

अंशु सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का रहने वाला था। वह लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान अपराधियों के संपर्क में आया। 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया था। अंशु दीक्षित को 2019 में दिसंबर में सुल्तानपुर जेल में वीडियो वायरल होने के बाद चित्रकूट जेल भेजा गया था।

अंशु मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। 27 अक्टूबर 2013 को उसने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश STF पर गोलियां चलाई थीं। दिसंबर 2014 में इसे पकड़ा गया था। चित्रकूट जेल आधुनिक होने के चलते इसे यहां करीब दो साल पहले भेजा गया था। इसे पूर्वांचल के माफियाओं का चहेता भी बताया जाता है।

कौन है मारा गया गैंगस्टर काला?

गैंगवार में मारा गया मुकीम काला वेस्ट UP का कुख्यात गैंगस्टर था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना पलायन का खलनायक माना जाता था।

मुकीम काला

उस पर एक लाख रुपए का इनाम भी रखा जा चुका था। सपा सरकार में मुकीम काला का आतंक इतना था कि UP, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान पुलिस को उसकी तलाश में थी। सहारनपुर में तनिष्क शोरूम में इंस्पेक्टर की वर्दी में 10 करोड़ की डकैती डालने वाले मुकीम से पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान एके-47 भी बरामद की थी। मुकीम काला शामली जिले के कैराना थाना क्षेत्र के जहानपुरा गांव का रहने वाला था। उस पर शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के अलावा दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में 61 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें लूट, रंगदारी, अपहरण, फिरौती के 35 से ज्यादा मुकदमे थे। मुकीम काला के खौफ से कारण कैराना से हिंदू पलायन कर गए थे। मुकीम काला के दूसरे भाई वसीम काला को 2017 में STF यूनिट ने मेरठ में मुठभेड़ में मारा था।

मेराज पहले मुन्ना बजरंगी और मुख्तार के लिए काम करता था

गोलीबारी में मारा गया दूसरा अपराधी मेराज वाराणसी का रहने वाला था। वह पहले मुन्ना बजरंगी का खास था, फिर मुख्तार से जुड़ा। इसकी अंशु दीक्षित से तनातनी रहती थी। बताया जाता है कि कुछ साल पहले उसकी अंशु से तनातनी भी हो गई थी। बनारस में उसे मेराज भाई नाम से जाना जाता था।

मेराज अपने गैंग के लिए हथियारों का इंतजाम करता था। वह फर्जी दस्तावेजों पर असलहों का लाइसेंस बनवाने का मास्टरमाइंड था। पिछले साल अक्टूबर में जैतपुरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। छानबीन में फर्जी तरीके से बनवाए गए 9 लाइसेंसी पिस्टल और राइफल की जानकारी मिली थी।

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