Uttar Pradesh. इस कोरोनाकाल में इतना बड़ा श्मशान घाट शायद ही कहीं और बना हो। जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के उन्नाव स्थित गंगा घाट की। जहां एक साथ 500 से ज्यादा लाशें पानी में तैर रही हैं। दरअसल रात में हुई बारिश के चलते गंगा का जलस्तर बढ़ने से कई लाशें बाहर आ गईं।
एक-दो नहीं बल्कि पचासों कुत्ते उन पर टूट पड़े थे। हर तरफ लाशों का अंबार और क्षत-विक्षत मानव अंग। कुछ देर होते ही प्रशासनिक अफसर भी पहुंच गए। देखते ही देखते लाशों के ऊपर से कफन हटवा उनके ऊपर बालू डलवा दी गई। कफन को हटाने का मकसद शायद ये था कि दूर से कोई लाशों की पहचान और गिनती न कर सके। लाशों के करीब जाने से मीडिया को रोक दिया गया। पूरा इलाका पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के हाथ में है। अफसरों ने कहा कि लाशें काफी सड़ चुकी हैं, इसलिए उसे निकालना मुश्किल है। अब उन लाशों के ऊपर से ही बालू डलवा दिया गया है।
ये लाशें हिंदुओं की हों या मुसलमानों की… प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ता। पुलिस प्रशासन तो बस सीमा विवादो में पड़ी है। इसी बात को लेकर सुबह फतेहपुर और उन्नाव के अफसरों के बीच लड़ाई शुरू हुई। दोनों यही कहते रहे कि जिस जगह शव दफन है वो उनके यहां का नहीं है। करीब 8 घंटे तक लाशों के ढेर पर जमीनों की पैमाइश चलती रही।
बाद में दोनों जिलों के डीएम ने तय किया कि अब से फतेहपुर की शवों का अंतिम संस्कार उनके क्षेत्र में होगा जबकि उन्नाव के लोगों का अंतिम संस्कार उन्नाव में होगा। गंगा के दोनों तरफ पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की टीमें बैठा दी गई हैं। अब यहां कोई लाश दफन नहीं होगी और न ही किसी के शव को प्रवाहित किया जाएगा।