बजट-2021 में इस बार अंतरिक्ष मिशन को लेकर भी ऐलान की गई है। भारत का आम बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जमीन से लेकर आसमान तक का जिक्र किया है। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन का मानव रहित पहला लॉन्च इसी साल दिसंबर 2021 में होगा।
न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड इस बार PSLV-CS51 को लॉन्च करेगा।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी हैशटैग आत्मनिर्भर भारत का बजट के साथ ट्वीट करते हुए स्पेश टेक्नोलॉजी पर प्रतिक्रिया दिया है। उन्होंने कहा है कि 6 वर्षों में प्रधानमंत्री @narendramodi जी के नेतृत्व में भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी में अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दिसंबर 2021 में देश का पहला मानवरहित उपग्रह- मानव रहित गगनयान मिशन शुरू होगा।’
बजट 2021 भाषण के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने गगनयान और पीएसएलवी सी 51 की तैयारियों के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण रूस में चल रहा है। दरअसल, इसरो की योजना साल 2022 में 10,000 करोड़ रुपए की लागत वाले ‘गगनयान’ को अंतरिक्ष में भेजने की है।
आपको बता दें कि, वैश्विक कोरोना महामारी के कारण पिछले साल भारत का यह मिशन लॉन्च नहीं हो पाया था और साथ ही इसकी तैयारियों पर भी असर पड़ा था। भारत के राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान इसरो ने गगनयान से पहले दो मानवरहित विमान भेजने की योजना बनाई थी, जिसमें से एक दिसंबर 2020 में ही उड़ान भरने वाला था जबकि दूसरे को जुलाई 2021 में भेजने की योजना बनाई गई थी। हालांकि यह संभव नहीं हो पाया था। इसका कारण ऊपर बता दिया गया है।
लाल किले से मोदी ने की थी घोषणा
बता दें कि, 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में इस मानव रहित अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर 2022 तक तीन सदस्यीय दल को पांच से सात दिन की अवधि के लिए अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। मिशन गगनयान के लिए इस्तेमाल होगी हरित ऊर्जा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के प्रमुख के. सिवन ने हाल ही में यह कहा था कि इसरो अपने महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए हरित ऊर्जा(प्रणोदक) बना रहा है। इसका इस्तेमाल रॉकेट के हर चरण में किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि देश को हरित तकनीक अपनाकर पर्यावरणीय नुकसान को सीमित करने की जरूरत बढ़ गई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शानदार विफलताओं की नींव पर बना है और हर विफलता के कारण हमारी प्रणाली में सुधार हुआ है।
मतलब साफ है कि इस बार बिना किसी परेशानी के लक्ष्य तक पहुंचने की तैयारी हो रही है।