Hindi Story. एक दिन एक आदमी एक राजा के यहाँ गया। उसने सिपाही से कहा, जाकर राजा साहब से कहिए कि एक कलाकार उनसे मिलना चाहता है। सिपाही ने राजा के पास जाकर उक्त बात बता दी। राजा ने सिपाही से कहा, उसे मेरे पास भेजो।
कलाकार ने राजा के पास जाकर उन्हें प्रणाम किया और कहा। हुजूर , मैं एक कलाकार हूँ। मैं रफ्फू करता हूँ। बिगड़ी बातों को भी मैं अपनी कला से ठीक कर देता हूँ। जब जब आप कहीं बाहर जायेंगे, मैं भी आपके साथ रहूँगा। आपसे अगर कुछ गलत शब्द कहा जाए, तो मैं उसे सही बना दूँगा। आपकी प्रशंसा होगी। राजा ने कहा ठीक है।
एकबार राजा अपने मित्र से मिलने दूसरे रजवार में गये। वह कलाकार भी उनके साथ गया। राजा के स्वागत में वहाँ एक सभा का आयोजन हुआ। स्वागत के बाद, कुछ इधर उधर की बातें होने लगीं। राजा ने कहा एकबार मैंने एक ही तीर से एक हिरण और एक बाघ को मार दिया। यह सुनकर उनके मित्र राजा ने कहा, ऐसा कैसे हो सकता है ? राजा ने कलाकार की ओर देखा। कलाकार ने कहा, हुजूर बात बिलकुल सही है। जब बाघ ने हिरण पर आक्रमण किया, ठीक उसी समय पीछे से राजा साहब ने तीर चलाई। तीर बाघ को बेधकर हिरण को बेधती हुई निकल गयी। सभासदों ने कहा, हाँ ऐसा हो सकता है। राजा खुश हुए।
पुनः राजा ने कहा, एकबार मैं ने एकही तीर से सात अशोकवृक्षों को काट गिराया। यह सुनकर लोगों ने कहा, बिलकुल गलत। ऐसा हो नहीं सकता। तब राजा ने पुनः कलाकार की ओर देखा। कलाकार ने कहा, बिलकुल सही। वास्तव में सातों वृक्ष एकही सीध में खड़े थे। इसलिए वे एक एक कर कटते चले गये। यह सुनकर राजा बहुत खुश हुए।
राजा ने फिर कहना शुरू किया। एक बार मैं शिकार खेलने गया था। वहाँ बहुत से जानवर आपस में उलझ रहे थे। मैंने एकही तीर से एक भालू , एक हिरण, एक बाघ और एक सियार को मार दिया, और तीर पुनः तड़कश में वापस आ गयी। यह सुनकर लोग हँसने लगे। मित्र राजा ने कहा, दोस्त आप भी कमाल करते हैं। ऐसा हो नहीं सकता। यह झूठ है। यह सुनकर राजा ने कलाकार की ओर देखा। तब कलाकार ने खिन्न होकर कहा, हुजूर मैं रफ्फू करता हूँ, पेवन नहीं लगाता।
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