चला यह विषाणु का कहर चीन के वुहान से,
कर दिया तबाह कई देशो को अपने आंतक से।
है खतरनाक यह विषाणु घातक हम सब पर,
तब ही तो फैलाता अपना आंतक हम सब पर।
न सोचता है ना समझता है,
सम्पर्क में आने पर अपना स्वरूप दिखता है।
जो रहा नहीं पूरी तरह से स्वच्छ,
उसको बना देता है अपने सवरूप से मगरमच्छ।
हमेशा रहना होगा इस विषाणु से दूर,
नहीं तो बना देगा आपको आंतक से मजबूर।
सम्पर्क फैलाव है इस विषाणु का नाम,
उपचार ना कराने से कर देता है काम तमाम ।
सम्पर्क से फैलता है यह विषाणु का नाज,
उपचार कराने से जमाता है अपना राज ।
सर्दी जुकाम है इसका पहचान,
नहीं ध्यान देने से मानाने लगता है रमजान ।
भारत ने यह ठाना है,
कर्फूय लगा के कोरोना को भगाना है।
लेखक
सम्राट सौरभ आनंद ‘लड्डू ‘