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भारतीय सामाजिक चिंतन में बौद्ध धम्म का प्रभाव’ विषय पर परिचर्चा का हुआ आयोजन

News24 Bite

May 14, 2020 10:59 am

बगहा. नगर के ‘बौद्ध विहार’ रतनमाला में भारतीय सामाजिक चिंतन में बौद्ध धम्म का प्रभाव विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन भीमाचार्य जयप्रकाश प्रकाश द्वारा किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रोo अरविंद नाथ तिवारी ने किया। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक, समाजसेवी, स्थानीय वार्ड पार्षद एवं स्थानीय व्यक्तियों ने फिजिकल डिस्टेंस का पालन कर अपने विचार व्यक्ति किए। वार्ड पार्षद मोo रब्बानी ने कहा कि सामाजिक कुरीतियां, अंधविश्वास को मिटा कर बौद्ध धम्म ने समतामूलक समाज के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।

अविनाश कुमार पाण्डेय ने कहा कि बौद्ध विहार द्वारा बौद्ध धर्म एवं बुद्ध दर्शन से सम्बंधित कार्यक्रम वर्षों से किया जा रहा है। भारतीय सामाजिक चिंतन पर बौद्ध धम्म का गहरा प्रभाव रहा है। हमारे समाज में शील, सदाचरण, सत्य अहिंसा का भाव बौद्ध धर्म का सार तत्व है।

शिक्षक सुनिल कुमार ‘राउत’ ने कहा कि भारतीय सामाजिक चिंतन में बौद्ध धम्म का महत्व एवं प्रभाव सदैव ही दृष्टिगत होता रहा है। जाति धर्म से परे ‘बौद्ध धम्म’ के शांति के संदेश को आत्मसात कर आपसी प्रेम, भाईचारा व सामाजिक सद्भाव सहित मनुष्य ईर्ष्या, द्वेष, घृणा जैसे दुर्गुणों से विमुक्त होकर सुखी, शांतिमय जीवन व्यतीत कर सकता है। भारत धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक देश है जहाँ सबको समानता एवं धार्मिक स्वतंत्रता आदि का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। आज विश्व के अधिकांश देश बौद्ध धम्म के संदेश को मानते हैं।

सुरेश राम ने कहा कि भाग्य भगवान से परे मानव अप्प दीपो भव की भावना के साथ अपने कर्मों से स्वयं और समाज में सम्मान सहित सर्वोत्तम सुख निर्वाण प्राप्त करता है।

मुरारीशरण तिवारी ने कहा समाज में प्रेम, दया, करुणा का भाव, सामाजिक सौहार्द्र जैसे सद्गुण को उत्पन्न करने वाला धर्म बौद्ध धम्म है। वहीं उक्त अवसर पर बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय से सामाजिक चिंतन पर बौद्ध धर्म का प्रभाव विषयक शोध कर पीएचडी की डिग्री प्राप्त संतोष कुमार विश्वास को बौद्ध विहार रतनमाला की ओर से अंगवस्त्र, पंचशील, सम्मान पत्र आदि से सम्मानित किया गया। भीमाचार्य जयप्रकाश प्रकाश ने प्रशस्तिपत्र देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि बौद्ध धम्म भारतीय सामाजिक व्यवस्था का अभिन्न अंग है, उसके आदर्शों के बिना एक सभ्य समाज का निर्माण असंभव है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोo अरविंदनाथ तिवारी ने कहा कि भारतीय सामाजिक चिंतन में यथा कवि, साहित्यकारों का विषयवस्तु बौद्ध धम्म, धम्मपद, पंचशील, अष्टांगिक मार्ग रहा है। साहित्यिक रचना कर समाज उन सद्गुणों यथा प्रेम भाईचारा सत्य सौहार्द्र को सामाजिक परिवेश में प्रत्यारोपित कर सदियों से भयभीत, आतंकित, अंधविश्वास से त्रस्त समाज में सामुदायिक सौहार्द और लोकतांत्रिक व्यवस्था को अग्रसारित करने में बौद्ध धम्म की अहम भूमिका रही है।

उपस्थित वक्ताओं द्वारा डॉo संतोष कुमार के शोधकार्य, साहित्यिक और सामाजिक सोंच की सराहना करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई। परिचर्चा कार्यक्रम में वार्ड आयुक्त मोo रब्बानी, प्रोo अरविंदनाथ तिवारी, जयप्रकाश प्रकाश, डॉo संतोष कुमार विश्वास, सुरेश राम, सुनिल कुमार ‘राउत’, पप्पू ठाकुर, अविनाश कुमार पाण्डेय ने अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन में वक्ताओं सहित मोo इंतजार अहमद, विनय कुमार उपाध्याय, जिब्रायल, सुजीत कुमार, आशुतोष कुमार, मंजीत कुमार, निर्भय कुमार, मुरारी शरण तिवारी, संजय द्विवेदी, सूरज कुमार, आदित्य, नगनारायण पंडित, विवेक गुप्ता आदि सम्मिलित हुए।

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