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कोरोना ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें, किसान अनाज औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर, बिचौलिये की कट रहीं चांदी

News24 Bite

May 12, 2020 12:45 pm

तुरकौलिया. देश में लॉक डाउन के कारन किसानो को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वही फसल खरीद-फरोख्त मामले मे सरकार की कोई ठोस नीति नही होने के कारण किसानों को मक्का बेचने मे काफी दिक्कतें हो रही है। जबकि इस बार किसानों ने बड़े पैमाने पर मक्का की खेती किया है।

ज्ञात हो पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने 1800 रूपए मक्का का दर निर्धारित किया था। ताकि किसान मक्के का खेती में रूचि ले तथा आत्मनिर्भर बन सकें। इस वर्ष सरकारी दर को देखे तो बड़े पैमाने पे मक्के की खेती की गई और उपज भी अच्छी हुई है। लेकिन सरकार मक्के की खरीदारी करने मे कोई रूचि नही दिखा रही है। जिसके वजह किसान अपना फसल औने-पौने दामों पर बिचौलिए के हाथों बेचने को मजबूर हैं।

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की मार से किसान अभी उबर भी नहीं पाये थे कि अब उन्हें फसल बेचने की चिंता सताने लगी है।

बिचौलिये मनमानी रेट पर अनाज खरीद रहें

वही रुपेश कुमार, मुक्तिनाथ गुप्ता, स्वामीनाथ सिंह, नंदकिशोर सिंह, मशकूर अहमद, संत कुशवाहा, विश्वनाथ सिंह, शमीम अहमद, टूनटून सिंह, मुजफ्फर आलम, रघुवर प्रसाद, मदन सिंह, रायबहादुर गिरि, फैयाज अहमद आदि किसानों ने बताया कि अभीतक क्रयकेंद्र नहीं खुलने से बिचौलियों की चांदी कट रही है।

बिचौलिये किसानों से मनमानी रेट पर अनाज की खरीदारी कर रहे हैं। किसानों का हाल बेहाल है। केंद्र सरकार ने 1800 रूपए किवंटल मक्का खरीदने की घोषणा की थी। लेकिन क्रय केंद्र नही खुलने से मजबुरन 1000 से 1100 रूपए क्विंटल बिचौलियों के हाथों मक्का बेचना पड़ रहा है। जिससे हमलोगो का लागत भी नही निकल रहा है। सरकार किसानों पर ध्यान नही दे रही है।

मंडी हाउस खोले बिना किसानों का विकास संभव नहीं

वही इन सब बातो को देखते हुए रालोसपा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष कुशवाहा ने कहा कि मंडी हाउस खोले बिना किसानों का विकास संभव नहीं है। जबतक मंडी हाउस नही खोला जाएगा तबतक किसान को अपना अनाज बेचेने मे परेशानी होगी। मंडी हाउस होने से किसान अपना उत्पादित अनाज सीधे वहां बेच सकते थे। साथ ही बिचौलियों का दबदबा भी किसानों के ऊपर नहीं रहता।

इतना ही नही किसानों का केसीसी खाता भी ठीक रहता क्योंकि मंडी हाउस से प्राप्त चेक को किसान अपने केसीसी खाता मे सीधे जमा करा देते तो केसीसी खाता एनपीए होने से भी बच जाता। केसीसी का ब्याज भी 12 प्रतिशत की जगह 7 प्रतिशत ही देना पड़ता।

जब किसान बैंक को 7 प्रतिशत ब्याज देता है तो सरकार के नजर मे वह अच्छे किसान की श्रेणी मे आ जाता है। जिससे उस किसान को केंद्र सरकार से 3 प्रतिशत और राज्य सरकार से एक प्रतिशत ब्याज मे अनुदान राशि मिल जाता है। इस तरह किसान को केवल 3 प्रतिशत मात्र ब्याज केसीसी खाता मे देना पड़ता है।

मतलब मंडी हाउस नही होने से 3 प्रतिशत की जगह 12 प्रतिशत ब्याज किसान दे रहे हैं। साथ ही अनाज भी औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। यही कारण है कि लाचार व बेबश किसान अनाज बेचने को लेकर चिंतित व कुंठित नजर आ रहे हैं।
शिवम सिंह (मोतिहारी ब्यूरो रिपोर्ट, न्यूज़ 24 बाईट)

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