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Ladakh के दाह गावं में आज भी रहते हैं 5000 साल पुराने आर्य के वंशज, सेना की अनुमति के बिना इस गांव में जा नहीं सकते

News24 Bite

March 10, 2020 1:53 pm

Ladakh.  हिमालय की गोद में छुपा एक ऐसा गाँव जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। माना जाता है की यहाँ आज भी आर्यो के शुद्ध वंशज रहते हैं। जो आर्यों की उत्पति से लेकर आज तक अपनी संस्कर्ति को बचाए हुये हैं। इस गाँव का नाम है दाह (Dah) गाँव जो लद्धाक (Ladakh ) में स्थित है। इस गावं की आबादी लगभग 300 के आस पास है। कहते हैं की यहाँ के लोग पिछले 8000 सालों से अपनी संस्कृति को बचाते आ रहे हैं। यहाँ पर 70 से ज्यादा उम्र के काफी आर्यन हैं जोकि 90 की उम्र में भी ये काफी एक्टिव रहते हैं। यहाँ के सभी परिवारों की देख रेख आर्मी के अंदर है।

यहाँ के लोगो के रहन सहन की बात किया जाए तो यहाँ के पुरुष और महिलाएं दोनों ही बेहद कलरफुल कपड़े पहनते हैं।

महिलाएं यहां पाए जाने वाले फूलो मोन्थू थो या शोक्लो से अपने बाल सजाती हैं। तथा गूंथकर चोटी करती हैं जिसकी वजह से वो कुछ-कुछ ग्रीक महिलाओं जैसी दिखती हुई मालूम पड़ती हैं। भेड़ की स्किन से बने कपड़े, बालों में ऑरेंज फूल और सिल्वर गहने एक ट्रेडिशनल ब्रोकपास ड्रेस है।अच्छे नैन – नक्शे, हेल्दी स्किन और फूलों से सजी ये महिलाएं बेहद खूबसूरत दिखती हैं।

तथा पुरुषों की नीली आंखे और चौड़ा शरीर उन्हें बाकी लोगों से अलग बनाता है। यहां के लोग आर्यन्स की भाषा ब्रेक्सकाड बोलते है तथा बौद्धिज्म को फॉलो करते हैं। लेकिन प्रकृति के साथ देवी-देवताओं को भी पूजते हैं

इनका खाना क्या होता है ?

यहां के लोग शाकाहारी होते हैं, ये लोग गाय का दूध और दूध से बनी चीजें नहीं खाते। तथा खाने में जौ की रोटी, हरी पत्ते वाली सब्जियां इत्यादि लेते हैं। बादाम, एप्रिकोट और अखरोट काफी मात्रा में यहाँ मिलता है।

यहाँ के लोग उत्सव और त्योहार कैसे मनाते है?

दाह गावं में अच्छी फसल होने की खुशी में तीन साल में एक बार बोनोनाह त्यौहार मनाया जाता है, इस त्यौहार में लड़के-लड़कियां अपने-अपने लिए साथी भी चुनते हैं। जब किसी के घर पर नया मेहमान आता है तो यहाँ बांगरी त्यौहार मनाया जाता है।
याता त्यौहार में जब भी कोई गांव वाला अमीर हो जाता है, वो पूरे गांव के लिए खाने का इंतजाम करता है। यहां के लोगो में नया साल का भी खूब क्रेज है ये न्य साल बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

ये जगह एप्रिकोट, अंगूर और अखरोट के प्रोडक्ट्स के लिए फेमस हैं। यहां प्रकृति से जो भी मिलता है, उसका ये लोग अच्छी तरह उपयोग करते हैं। टमाटर और एप्रिकोट(Apricot) का तेल आर्मी और दूसरे लोगों को सप्लाई करते हैं। यहाँ अंगूर से शराब भी बनाई जाती है।

यहाँ कैसे जाये?

हम यहाँ घूमने जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए पहले आर्मी की अनुमति लेनी आवश्यक है। वैसे यहाँ पर बहुत से टुरिस्ट आते हैं, एवं इनकी संस्कृति को समझने की कोशिस करते है। यह गावं लेह (Leh) में Army Check Post (NH 1D, Kargil, 194103) से लगभग 15 किलोमीटर की दुरी पर Indus Valley Road पर स्थित हैं। आप Army Check Post तक  टैक्सी या अपनी कार से आ सकते हैं। यहां तक पहुंचकर आगे इन गांवों में सिर्फ ट्रैकिंग करके ही जा सकते हैं क्योंकि ये पहाड़ों पर बसे हैं। इस गावं में जाने के लिए आपको डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर से लाइन परमिट लेनी पड़ती है, क्योंकि इसके पास ही LOC सेक्टर पड़ता है।

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