Flash Back 2020: वैसे तो 2020 काफी उथल-पुथल से भरा रहा। कई बुरे अनुभवों से हमें गुजरना पड़ा। वहीं यह साल हमारी दिनचर्या को बदल देने के लिए याद किया जाएगा।
कोरोना काल में हमारी बहुत सारी आदतें बदल गए, जिसे बदलने के लिए पहले हम तैयार नहीं थे। चलिए जानते हैं हमारे संवादाता संजीव सुमन की ये रिपोर्ट :
हर एक साल को किसी ना किसी वजह से याद किया जाता हैं। हर साल के इतिहास में कुछ अच्छे तो कुछ बुरे घटनाक्रम शामिल होते रहते हैं। लेकिन साल 2020 और सभी साल से कुछ अलग ही साबित हो रहा हैं। यह साल कुछ ऐसा साल बनता जा रहा है, जिसमें कोरोना ने हर किसी की जिन्दगी को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर बदल कर रख दिया है। कोरोना वायरस के चलते हमारी आदतें और दिनचर्या काफी हद तक इस साल बदल गई। इसमें ना सिर्फ कामकाज के तरीके शामिल है, बल्कि खानपान के तरीके से लेकर घर-परिवार में रहने के तौर-तरीकें में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
कोरोना काल में बदली ये आदतें:
बार-बार सैनेटाइजर का इस्तेमाल : सैनेटाइजर साथ रखना भारत या हमारे जैसे दूसरे देशों में कोई आम बात नहीं थी।आमतौर पर कोरोना महामारी के आने से पहले बहुत कम लोग ऐसे थे,जिनके पास सैनेटाइजर मिलता था। मार्च के बाद साथ रखने वाले सामानों में सबसे अहम सैनेटाइजर हो गया हैं। ना सिर्फ हाथों को बार-बार सैनेटाइज करने की आदत बनी, बल्कि सामानों को भी सैनेटाइज करने की आदत हो गई।
चेहरे पर मास्क हुआ आम:
इस साल मार्च से पहले चेहरे पर मास्क सिर्फ अस्पतालों के अंदर में दिखाई देता था। पब्लिक पैलेस में बहुत मुश्किल से ही कभी कोई मास्क पहने हुए दिखाई दिया। मार्च के बाद चेहरे पर मास्क पहनना अनिवार्य दिनचर्या में शामिल हो गया। अब तो ऐसी आदत हो गई है कि लोग अब घरों में पहनने लगे हैं। अगर कोई नहीं पहनता है तो अजीब लगता हैं।कभी तो लोंगो द्वारा उन्हें टोक भी दिया जाता हैं और उन्हें पहनने की सलाह दी जाती है।
बार-बार हाथ धोने की आदत :
कोरोना संक्रमण के डर से हमारी साफ-सफाई की आदतों में एक बड़ा बदलाव आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन,स्वास्थ्य मंत्रालय,डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने कोरोना से बचने के लिए लगातार दिनभर समय-समय पर 20 सेकेंड तक साबुन से अच्छी तरह हाथ धोंने की सलाह देते रहें।धीरे-धीरे यह लोंगो की आदत में शुमार हो गया।
बदला अभिवादन का तरीका : दूर से ही नमस्ते कोरोना के बाद बहुत ज्यादा जोर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ पर दिया गया है। लगातार ये अपील की गई कि मिलने-जुलने में कम-से-कम दो गज की दूरी बनाए रखें। इससे हाथ मिलाने या गले लगने का सिलसिला कम हो गया। आमतौर पर लोंगो ने हाथ जोड़कर नमस्ते को अपनाया है। यहां तक कि यूरोप जैसे देशों में भी यह चलन देखने को मिल रहा है। क्योंकि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक यह बिमारी फैलने में हाथों द्वारा संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।
खानपान के तरीकें बदले : इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
महामारी काल में जानलेवा वायरस से कैसे बचा जाए, यह चिंता सबकों है। कोरोना के आने के 10 महीनें बाद भी कोरोना की वैक्सीन अभी तक नहीं आ सकी है। ऐसे में वायरस से बचने का तरीका एहतियात बरतना और इम्युनिटी बढ़ाना है। इस सब से हमारे खान-पान की आदत को बदल डाला। ऐसे में देखा जा रहा है कि खान-पान में हेल्दी चीजों का इस्तेमाल बढ़ गया है।
वर्क फॉर होम का चलन :
कोरोना संकट के दौरान एक बड़ा बदलाव ऑफिस कल्चर पर भी हुआ। संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए आईटी से लेकर मार्केटिंग सेक्टर ने भी अपने कर्मचरियों को घर से काम करने की सुविधा दी हैं। लोग ऑफिस जाने के बजाए घर से काम कर रहें है।