बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है
सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है
ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है