दरअसल Gold Jewellery Hallmarking 16 जून से शुरू होने जा रही है। 15 जून के बाद जौहरियों को सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी। BIS अप्रैल 2000 से सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग योजना पर काम कर रहा है।
वर्तमान समय में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग हो रही है। इस खबर को सुनने के बाद लोग घर में रखे सोने को लेकर परेशान हैं। उनके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर घर के सोने का क्या होगा ? तो आपको बता दें कि Gold Hallmarking का घर में रखे सोने पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है। हक कभी भी चाहे पुरानी ज्वेलरी बेचने में सक्षम होंगे। क्योंकि Hallmarking का नियम सोनार के लिए जरूरी है। वह अब बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच पाएगा।
गोल्ड हॉलमार्किंग का मतलब शुद्ध सोने की पहचान है। भारत में सोने के आभूषणों में दुनिया के सर्वोत्तम मानक को नापने के लिए गोल्ड हॉलमार्किंग को जरूरी करने का काम किया गया है। ग्राहक नकली सोने की ज्वैलरी से बचें और साथ ही साथ ज्वैलरी कारोबार पर निगरानी रखा जा सके…इसके लिए सरकार इसे अनिवार्य बनाने में लगी हुई है। नए नियम की मानें तो सोना खरीदने और बेचने के लिए हॉलमार्किंग अब जरूरी होगा। वहीं हॉलमार्क वाले सोने को यदि आप बेचने जाएंगे तो सामने वाला आपसे कोई डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटेगा।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने गोल्ड ज्वैलरी एवं कलाकृतियों के लिए अनिवार्य रूप से हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू करने की समय सीमा 1 जून से बढ़ाकर 15 जून तक कर दी थी जो आज से 4 दिन बाद लागू हो जाएगी। सोने की खरीदारी के नियम में मात्र 4 दिन ही बचा है। जिसके बाद अहम बदलाव होने जा रहा है।
दरअसल Gold Jewellery Hallmarking 16 जून से शुरू होने जा रही है। 15 जून के बाद जौहरियों को सिर्फ 14, 18 और 22 कैरेट के सोने के आभूषण बेचने की अनुमति होगी। BIS अप्रैल 2000 से सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग योजना पर काम कर रहा है।
वर्तमान समय में लगभग 40 प्रतिशत सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग हो रही है। इस खबर को सुनने के बाद लोग घर में रखे सोने को लेकर परेशान हैं। उनके मन में सवाल आ रहा है कि आखिर घर के सोने का क्या होगा ? तो आपको बता दें कि Gold Hallmarking का घर में रखे सोने पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है। हक कभी भी चाहे पुरानी ज्वेलरी बेचने में सक्षम होंगे। क्योंकि Hallmarking का नियम सोनार के लिए जरूरी है। वह अब बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच पाएगा।
गोल्ड हॉलमार्किंग का मतलब शुद्ध सोने की पहचान है। भारत में सोने के आभूषणों में दुनिया के सर्वोत्तम मानक को नापने के लिए गोल्ड हॉलमार्किंग को जरूरी करने का काम किया गया है। ग्राहक नकली सोने की ज्वैलरी से बचें और साथ ही साथ ज्वैलरी कारोबार पर निगरानी रखा जा सके…इसके लिए सरकार इसे अनिवार्य बनाने में लगी हुई है। नए नियम की मानें तो सोना खरीदने और बेचने के लिए हॉलमार्किंग अब जरूरी होगा। वहीं हॉलमार्क वाले सोने को यदि आप बेचने जाएंगे तो सामने वाला आपसे कोई डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटेगा।