New Education Policy. देश में शिक्षा का स्तर कितना निम्न है किसी से छुपा नहीं है। भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकार समय-समय कई बदलाव करती रहती हैं ताकि शिक्षा में सुधार हो। देश के छोटे से कस्बे की बात तो दूर, कई शहरों में भी शिक्षा का निम्न स्तर चिंता का विषय है। लेकिन सरकार इसे बदलने की कवायद में जुट गई है।
संभव है कि 2024 तक देश के हर ब्लाक में ऐसे आदर्श स्कूल खड़े हो जाएं जो निजी स्कूलों को भी मात दें। जहां छात्र अपने हरेक सपने को आसानी से बुन सकेंगे और पूरा भी कर सकते हैं। इसका पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। इस बार के बजट में यह देखने को भी मिला है। इस साल के बजट में देशभर में 15 हजार से ज्यादा आदर्श स्कूलों को बनाने की घोषणा के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। मंत्रालय इसे लेकर जल्द ही एक नई योजना भी लाने की तैयारी में है जिसके तहत इन स्कूलों को विकसित किया जाएगा।
खास बात यह है कि ये सभी स्कूल सरकारी ही होंगे, जिनका चयन राज्यों के साथ मिलकर किया जाएगा। फिलहाल आदर्श स्कूलों से जुड़ी इस योजना पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। मंत्रालय के मुताबिक, आदर्श स्कूलों की इस प्रस्तावित योजना के तहत देशभर में कुल 15,552 सरकारी स्कूलों को आदर्श रूप में तैयार किया जाएगा। इनमें प्रत्येक ब्लाक का एक प्री-प्राइमरी और एक प्राइमरी स्कूल शामिल होगा, जबकि प्रत्येक जिले से एक माध्यमिक और एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शामिल होगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सौ फीसद अमल करवाया जाएगा
आदर्श स्कूलों को बनाने की जो कल्पना की गई है, वह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्र में रखते हुए की गई है। इनमें नीति को पूरी तरह से उतारा जाएगा। यह इसलिए भी जरूरी है ताकि इसका अनुसरण दूसरे स्कूल भी कर सकें। इन स्कूलों में नीति को लागू करने की भी एक विस्तृत योजना बनाई गई है। नीति की सिफारिश के तहत आदर्श स्कूलों में गणित, विज्ञान आदि की पढ़ाई स्थानीय भाषाओं में ही कराई जाएगी। हालांकि राज्यों पर ही इसके अमल की जिम्मेदारी है, लेकिन केंद्र अपनी पैनी नजर रखेगा।मतलब केंद्र सरकार पूर्ण रूप से इसे राज्यों के अधिकार में नहीं देगा,बल्कि उसपर अपनी पकड़ कायम रखेगा,ताकि कोई गड़बड़ी ना आ पाए।
आदर्श स्कूल के प्रकार इस तरह हो सकते है
फिलहाल आदर्श स्कूलों का जो खाका तैयार किया है उनमें ये स्कूल सभी तरह की सुविधाओं से लैस होंगे। छात्रों को पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल मिलेगा। जिसमें स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, कौशल लैब, खेल का मैदान आदि सुविधाएं मौजूद होंगी। छात्र-शिक्षक का अनुपात भी बेहतर होगा। 30 छात्रों पर एक शिक्षक होगा। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से विज्ञान, कला, संगीत, भाषा, खेल और व्यवसायिक शिक्षा आदि के शिक्षक या फिर परामर्शदाता होंगे।साथ ही स्थानीय हुनरमंदों को भी आदर्श स्कूलों से बतौर अतिथि शिक्षक जोड़ा जाएगा। इनमें बढ़ईगीरी, बिजली का काम, बागवानी, मिट्टी के बर्तनों का निर्माण, धातु के बर्तनों का निर्माण आदि से जुड़े लोग शामिल होंगे।
प्री-प्राइमरी के बच्चों को यहां खिलौना आधारित शिक्षा दी जाएगी। फिलहाल अभी देश में इसे पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं, ऐसे में बाहरी विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी। समग्र शिक्षा सहित सरकारी स्कूलों से जुड़ी सभी योजनाएं लागू होंगी।
अगर ध्यान से इसका अवलोकन किया जाए तो सरकार की आदर्श स्कूलों को लेकर जो नीति है,वो काबिलेगौर करनी वाली है। लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि इस तरह के स्कूल बन पाएंगे या फिर कागजों में ही रह जाएगे।अगर बन भी जाते हैं तो उसके रख-रखाव को लेकर केंद्र,राज्यों के साथ कैसे समन्वय बैठाता है।अभी आदर्श स्कूल को लेकर जो कंशेप्त है,उसपें नजर बनाए रखे हैं, देखते आगे क्या होता है।