नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) अनिल बैजल के बिच की टकराहट तो सबने सुनी ही होगी। उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री केजरीवाल के बीच अधिकारों को लेकर चल रही खींचतान जग जाहिर है। ऐसे में जीएनटीसीडी एक्ट का लागू होना केजरीवाल सरकार के लिए बुरी खबर है।
केजरीवाल को किसी भी फैसले से पहले लेनी होगी मंजूरी
बता दे, हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों में एक बिल पेश किया था, जिसका नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021’ था। संसद में पास होने के बाद केंद्र की ओर से इस बिल का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, जिसके तहत अब उप-राज्यपाल अनिल बैजल के पास दिल्ली की आम आदमी सरकार से ज्यादा शक्तियां होंगी। यानी अब किसी भी फैसले को लेने से पहले दिल्ली सरकार को उप-राज्यपाल की राय लेना जरूरी होगा। सरकार विधायिका से से जुड़े फैसले लेती है तो उसे LG से 15 दिन पहले मंजूरी लेनी होगी। प्रशासनिक मामलों से जुड़े फैसले लेती है तो उसे 7 दिन पहले मंजूरी लेना जरूरी होगा।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने किया था विरोध
सदन में इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने काफी विरोध किया था। वही बिल पास होने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि लोकतंत्र के लिए ये बेहद बुरा दिन है। हम सत्ता की ताकत को जनता के हाथ में रखने की अपनी कोशिशों को जारी रखेंगे। चाहे जैसी भी रुकावट हो, हम अच्छा काम जार रखेंगे और ये न रुकेगा, न धीमा पड़ेगा। वहीं, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा था, ‘आज लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है,’ उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए दुखद दिन करार दिया था।