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तेलंगाना : आइसोलेशन के लिए गांव में नहीं मिली जगह तो युवक ने पेड़ पर बिताए 11 दिन

  • पेड़ पर उसने 11 दिन गुजार दिया
  • अपडेट : चंचल पांडेय

News24 Bite

May 17, 2021 12:52 pm

हैदराबाद. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेहद खतरनाक होते दिख रही है। अस्पतालों में बेड, दवा, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की किल्लत से संक्रमित मरीज तड़प-तड़प कर मरने को मजबूर है। ऐसे में हल्के लक्षणों वाले कोरोना मरीजों को क्वॉरंटीन या होम आइसोलेशन के लिए कहा जा रहा है।

11 दिन पेड़ पर आइसोलेशन में बिता दिए

लेकिन, देश में अधिकतर परिवार एक अकेले कमरे में रहते हैं, जिसके अंदर किचन और कभी-कभी तो शौचालय भी शामिल होता है। ऐसे में अकसर कोविड मरीज़ों को आइसोलेट करने के लिए जगह ही नहीं मिल पा रहा है। वही इन सबके बीच तेलंगाना के नालगोंडा जिले में एक कोविड मरीज ने आइसोलेट होने के लिए अलग तरीका निकाल लिया। खबरों के अनुसार, 18 वर्षीय छात्र ने कोरोना संक्रमित होने के बाद 11 दिन पेड़ पर आइसोलेशन में बिता दिए है।

दरअसल, नालगोंडा ज़िले के अंदरूनी इलाके कोठानंदीकोंडा का रहने वाला 18 वर्षीय शिवा हैदराबाद में रहकर ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा हैं। लॉकडाउन में घर लौटा तो कोरोना के हल्के लक्षण दिखने के बाद उसने अपना टेस्ट कराया। 4 मई को रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। लेकिन घर की हालत और गांव में कोई आइसोलेशन सेंटर न होने की वजह से उन्होंने पेड़ के ऊपर आइसोलेट होने का फैसला किया और पेड़ पर उसने 11 दिन गुजार दिया।

जब शिवा से इस सिलसिले में बात हुई तो उसने बताया कि : ‘गावं में कोई आइसोलेशन सेंटर नहीं था। मेरे परिवार में चार सदस्य हैं। अपने कारण मैं किसी को संक्रमित नहीं कर सकता। ऐसे में पेड़ पर आइसोलेट करने का फैसला किया। गांव में कोई मेरी मदद के लिए आगे नहीं आया। वो सब वायरस से डरे हुए हैं…वो अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं।

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शिवा ने पेड़ पर लकड़ियों के सहारे एक गद्दा डाल लिया है। पेड़ उसके घर के आंगन में ही है। एक रस्सी और बाल्टी की सहायता से एक पुली सिस्टम बनाया है। उसका रोज़ का खाना और दूसरी ज़रूरी दवाएं इसी पुली सिस्टम के ज़रिए भेजी जाती हैं। आइसोलेशन के दौरान शिवा ने अपना अधिकतर समय मोबाइल के सहारे बिताया है।

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