पश्चिम चम्पारण. प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक के नियोजित शिक्षकों के लिए जारी सेवाशर्त पर शिक्षकों का आक्रोश दिन प्रतिदिन तेज होते जा रहा है। शिक्षक स्वयं को सेवाशर्त में उपेक्षित महसूस कर रहें हैं और सरकार पर यह आरोप मढ़ रहें हैं कि सरकार ने उनकी उपेक्षा की है तथा बिहार के प्रतिभा का अपमान किया है।
टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजीत शिक्षक संघ गोपगुट द्वारा राज्यव्यापी विरोध सप्ताह के अंतिम दिन शिक्षकों ने अपने घर पर प्रोटेस्ट विद फैमली कार्यक्रम आयोजित कर अपना विरोध प्रकट किया तथा व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर इत्यादि के माध्यम से #BoycottNdaBiharAssemblyElection2020 बॉयकॉट एनडीए बिहार असेंबली इलेक्शन 2020 हैशटैग के साथ ऑनलाइन सपरिवार विरोध भी दर्ज किया।
इस मौके पर टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट पश्चिम चम्पारण के जिलाध्यक्ष चंचल अविनाश, महासचिव राजेश कुमार राय ने कहा कि सरकार शिक्षक और समाज को लाख बरगलाने की कोशिश कर ले लेकिन बिहार के शिक्षक और जनता समझ चुकी है कि सरकार चुनावी लॉलीपॉप फेंककर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है। शिक्षक अब झांसे में आने वाले नही हैं। पिछले पांच साल में सरकार को कभी भी शिक्षकों की याद नही आई लेकिन अब चूँकि चुनाव नजदीक है तो शिक्षकों को अपने मकड़जाल में फंसाना चाहती है। उसकी मंशा कभी साफ नही रही है और न ही वह कभी शिक्षकों के प्रति संवेदनशील रही है। सरकार की दोहरी नीति के कारण शिक्षक सपरिवार आज विरोध प्रदर्शन को बाध्य हैं लेकिन उनके मांगों को सुनने के लिए सरकार आज भी तैयार नही है। आगामी विधानसभा चुनाव में शिक्षक इस सरकार से अपने अपमान का बदला सरकार को बदल कर लेंगे। तथा आगामी पांच सितंबर को अपमान का बदला लेने का बिहार के लाखों शिक्षक ‘बदला लो-बदल डालो’ के साथ संकल्प दिवस मनाएंगे।
उक्त जानकारी संघ के जिला सोशल मीडिया प्रभारी सुनिल कुमार ‘राउत’ ने देते हुए कहा कि सरकार नियमित शिक्षकों की भांति पूर्ण वेतन और हू-बहू सेवा शर्त के साथ नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे। सरकार राज्य के सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है वहीं मदरसा शिक्षकों को पेंशन का लाभ देने की घोषणा हुई है।
राज्य कार्यकारिणी सदस्य मोo औरंगजेब रजा, जिला संयोजक सोहनलाल, प्रवक्ता शुभनारायण सोनी, महिला प्रकोष्ठ प्रभारी शुभलक्ष्मी महाराज ने कहा कि नई सेवा शर्त हमें कतई मंजूर नहीं है। हमारी मांग है कि नियमित शिक्षकों की भांति पूर्ण वेतन और हू बहू सेवा शर्त के साथ राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाय। टीईटी एसटीइटी शिक्षकों के लिए अलग कैडर का निर्माण किया जाए।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि यह कितनी बड़ी विडंबना है कि राष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों को पूरा करने वाले टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं जबकि पड़ोस के राज्यों में टीईटी शिक्षकों को सुविधाएँ प्राप्त हैं। उक्त शिक्षकों को अधिकार से वंचित रखकर बिहार सरकार प्रतिभा का खुलेआम मजाक उड़ा रही है।
जिला उपाध्यक्ष सुरेश राम, मृत्युंजय पाण्डेय, सचिव कुन्दन कुमार, त्रिभुवन पाण्डेय कोषाध्यक्ष प्रशांत प्रियदर्शी, राकेश राव आदि ने कहा कि बिहार के शिक्षा व्यवस्था में मिल के पत्थर के रूप में आये इन शिक्षकों के साथ अनुचित व्यवहार करके सरकार बिहार के शिक्षा व्यवस्था को हाशिये पर धकेलना चाहती है जिसका जबाब बिहार के छात्र, शिक्षक और नौजवान देंगे।