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जानिए उत्तर प्रदेश में ओवैसी-AAP के दस्तक से किस-किस की धड़कनें बढ़ेगी, भाजपा और समाजवादी पार्टी का क्या होगा?

  • कहा जाता हैं कि जो यूपी जीता उसी का राज दिल्ली पर होता है

News24 Bite

December 17, 2020 9:39 am

उत्तरप्रदेश देश का एक वैसा राज्य जो लुटियस दिल्ली को सबसे ज्यादा प्रभावित करता हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि जो यूपी जीता उसी का राज दिल्ली पर होता है। जानकारी के लिए बता दू कि यूपी के पास लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं, जो एक तरह से लुटियस दिल्ली के मुगल गार्डन का सिरमौर होता हैं।अर्थात प्रधानमंत्री कौन होगा? उसका फैसला करता है।

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जानकारी के लिए बता दे, यूपी के सियासी समर शुरू होने में ऐसे तो 15 महीने का वक्त है। लेकिन सभी सियासी दल अपनी-अपनी शतरंजी बिसात बैठानी शुरू कर दिया है। इसी बीच बिहार चुनाव के क्षणिक सफलता की घोड़ी पर सवार एआईएमआईएम(AIMIM) ने उसी समय यूपी चुनाव-2022 में उतरने का ऐलान किया था। जिसकी तैयारी शुरू भी कर दी गई है। एआईएमआईएम के मुखिया असुद्दीन ओवैसी ने सुभासपा के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के साथ अहम बैठक किए और बैठक के बाद ओवैसी ने राजभर के साथ 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिए।

बता दे कि कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी ने भी यूपी चुनाव में उतरने के फैसले का ऐलान किया।मौजूदा सियासी हालात में जबकि कुछ दिन पहले हुए यूपी विधानसभा के उपचुनाव में सत्तासीन भाजपा ने बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया है।

भाजपा ने उपचुनाव ही नहीं बल्कि विधानपरिषद स्नातक व शिक्षक चुनाव में अपना वर्चस्व कायम रखने में कामयाब रहें।उसकी टक्कर मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी से हुई और ऐसा लगा कि इसबार भाजपा का मुख्य मुकाबला सपा से ही हैं। अब जबकि दोंनो छोटी पार्टी यूपी समर में शिरकत के ऐलान के बाद दोंनो पार्टियों भाजपा और सपा की चिंता बढ़ जाए तो हैरत नहीं होनी चाहिए। सबसे पहले ओवैसी की बात करते हैं। भाजपा की ‘बी’ पार्टी होंने के आरोंपो के बीच उन्होंने ऐसे दल से गठबंधन किया है,जिसकी सक्रियता भाजपा की चिंता बढ़ा सकती हैं।

आपको बता दू कि सुभासपा का प्रभाव पूर्वांचल में ज्यादा है। हमारे संवादाता संजीव सुमन के आकलन के अनुसार छोटी पार्टिया हमेशा बड़ी पार्टी के वोट बैंक में इजाफा करते हैं और सीटों की संख्या में बढ़ोतरी करते हैं। इसलिए इन छोटी पार्टियों का महत्व बढ़ जाता है साथ ही इन छोटी-छोटी पार्टियों का अपने विशेष समुदाय अर्थात अपनी जातियों पर प्रभाव रहता है। इसलिए बड़ी पार्टी इन्हें अपने करीब रखती हैं। इनका अलग होना बड़ी पार्टी को थोड़ा-बहुत परेशान जरूर करता है।

आगे दूसरे भाग में आप पार्टी और ओवैसी भाजपा और सपा को कितना परेशान कर सकते हैं, इस बारे में और बात करेंगे। रिपोर्ट : संजीव सुमन

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