Chaitra Navratri 2021. हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि शुरू होती है। इस वर्ष नवरात्रि 13 अप्रैल 2021 से आरंभ हो रही हैं जो 21 अप्रैल 2021 तक चलेगी। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है।
भूलकर भी किसी नारी का अपमान ना करे
नवरात्रि में प्रतिपदा तिथि यानि प्रथम दिन माता की चौकी सजाई जाती है और कलश स्थापना होती है। इसके बाद क्रमशः प्रथम दिन शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंद माता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी माता और सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना होती है। नवरात्रि में भक्त नौ दिनों तक फलाहार व्रत करते हैं तो कुछ भक्त निर्जला उपवास भी करते हैं, इसलिए यह व्रत बहुत ही कठिन माना गया है। इन नौं दिनों में भक्त माता की कृपा पाने और उन्हे मनाने के पूरे प्रयास करते हैं। माता आदिशक्ति भवानी की कृपा प्राप्त करने के लिए केवल पूजा अर्चना करना ही काफी नहीं होता है बल्कि अपने व्यवहार और दिनचर्या का भी खास ध्यान रखना पड़ता है। तभी माता रानी की पूर्ण कृपा प्राप्त हो सकती है। नवरात्रि के नौं दिन शक्ति की आराधना के दिन होते हैं, इसलिए इन नौं दिनों में भूलकर भी किसी नारी का अपमान नहीं करना चाहिए, इसके अलावा कभी भी किसी महिला का अपमान नहीं होने देना चाहिए।
जो लोग स्त्रियों का सम्मान करते हैं उनके ऊपर सदैव माता रानी और सभी देवों की कृपा रहती है। नवरात्रि के नौं दिनों तक साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखे रहना चाहिए। इसके अलावा इन नौं दिनों तक नाखून या बाल कटानें से बचना चाहिए।यदि आपको पूजन करना है तो हो सके संध्या के समय भी स्नान करने के पश्चात ही पूजन की प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए। नवरात्रि के नौं दिनों तक तन और मन दोनों की सात्विकता का ध्यान रखने कि कोशिश करनी चाहिए। नौं दिनों तक पूर्णतया ब्रह्मचर्य का पालन करने की कोशिश करनी चाहिए।
मांस मदिरा या अन्य किसी नशीले पदार्थ का सेवन भूलकर ना करे
इसके साथ ही खान-पान में भी सात्विकता रखने की कोशिश करनी चाहिए। इन नौं दिनों के दौरान मांस मदिरा या अन्य किसी नशीले पदार्थ का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए साथ ही खाने में प्याज लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं करने की कोशिश करनी चाहिए।
पेड़ पौधों को नुकसान न पहुंचाए
नवरात्रि के दौरान अपने मन को पूर्णतया मां दुर्गा के ध्यान में लगा देना चाहिए। इस समय कोई भी नकारात्मक विचार मन में नहीं लाने की कोशिश करनी चाहिए। न ही किसी के प्रति अपने मन में दुर्भावना ही रखना चाहिए। प्रकृति से ही जीवन है, इसलिए सदैव प्रकृति का सम्मान करते रहना चाहिए।खासतौर पर नवरात्रि के नौं दिनों तक प्रकृति से संबंधित किसी भी चीज से खिलवाड़ करने से बचने की कोशिश करनी चाहिए।बता दें कि माता को स्वयं प्रकृति की संज्ञा दी गई है। इन नौं दिनों तक भूलकर भी किसी प्रकार से पेड़ पौधों को नुकसान न पहुंचाए और न ही पहुंचने दें।
नौं दिनों तक क्रोध न करें इससे आपका मन अशांत हो जाता है।आप पूरी तरह से ईश्वर में ध्यान एकाग्र नहीं कर पाते हैं क्रोध आपकी साधना में बाधक बन जाता है।साथ ही अपनी वाणी में मधुरता बनाए रखें। सभी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें। छोटो से प्रेम और बड़ों से सम्मान पूर्वक बात करनी चाहिए।यदि आपने व्रत रखें हो तो किसी भी तरह से नमक या अन्न का सेवन न करें। फलाहार करते हुए व्रत रखें। खाने में तैलीय पदार्थों का सेवन करने से बचने की कोशिश करनी चाहिए। नवरात्र में भक्तों को तनावमुक्त होकर माँ की आराधना तन मन धन से करने की कोशिश करनी चाहिए।