PATNA. बिहार में कोरोना महामारी का संक्रमण लगातार तेजी से बढ़ते जा रहा है। जिसके कारण बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Legislative Assembly election 2020) पर कोरोना ग्रहण लगने की आशंका भी बढ़ती जा रही है। वही इस महामारी के बीच बिहार विधानसभा का चुनाव टाल कर राष्ट्रपति शासन (President’s rule) लगाने की तैयारी शुरू हो गयी है। जिसकी पृष्ठभूमि तैयार हो रही है।
गौरतलब हो कि बिहार विधानसभा का चुनाव नवंबर महीने में होना है। बिहार में कोरोना संक्रमण का आकलन करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तीन सदस्यीय टीम बिहार भेजने जा रहा है। आपको बता दें कि दूसरी ओर चुनाव आयोग ने सभी दलों को चिट्ठी लिख कर विधानसभा चुनाव कराने के बारे में उनकी राय मांगी है। ग़ौरतलब है कि बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रकोप की समीक्षा करने के लिए बिहार भेजी जा रही टीम में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल, नेशनल सेंटर फॉर डीजिज कंट्रोल के निदेशक डा एसके सिंह और एम्स, दिल्ली के सहायक, प्राध्यापक नीरज निश्चल शामिल हैं।
वही नेता बिहार प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव चुनाव को टालने की मांग कर रहे है। उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि वो लाशों की ढेर पर चुनाव कराना चाहती है। जबकि तेजस्वी को जवाब देते हुए जेडी यू नेता अफजल अब्बास ने कहा कि वो चुनाव से भागना चाहती है क्योंकि उसे पता है कि परिणाम क्या होने वाले हैं। वही बीजेपी नेता अखिलेश सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कह कि जो बच्चा पढ़ाई में कमजोर होता है उसे परीक्षा से डर लगता है।
राष्ट्रपति शासन के अलावा दूसरा उपाय नहीं
आपको बता दे, बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को खत्म होने वाला है। संविधान के मुताबिक 29 नवंबर से पहले नई सरकार का गठन हो जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है।
जिस प्रकार से बिहार में कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है उससे तो यही लगता है कि यदि चुनाव हुए भी तो वोट प्रतिशत काफी कम हो सकता है। मतदाताओं के साथ-साथ चुनाव कराने वाले बिहार के अधिकारी भी कोरोना संक्रमण काल में चुनाव को टालने के पक्ष में हैं लेकिन सरकार की मंशा को देखते हुए कुछ भी खुल कर बोलने से डर रहे हैं। बिट्टू सिंह जयंत (ब्यूरो रिपोर्ट, न्यूज़ 24 बाईट)