पटना. देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलो को देखते हुए लॉकडाउन लागू होते ही नेपाल से लगने वाले भारत के सभी सीमाओं को सील करने के बाद चौकसी बढ़ा दी गई थी। ताकि कोई भी भारत में प्रेवश ना कर पाए एवं नेपाल से संक्रमित भारत में नहीं आ सकें। ऐसा सोचना गलत भी नहीं है क्योकि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए अपने देश के सीमाओं को सील करने का काम सभी देशो ने किया है।
सूत्रों के मुताबिक लॉक डाउन के शुरुआती दिनों में नेपाल से कोरोना पॉजिटिव मजदूरों के आने की ख़बरें भी मिलीं लेकिन जांच के बाद सभी निगेटिव पाए गए थे।
प्रशासन लचार एवं सुस्त – बॉर्डर के रास्ते चोरी से आ रहे प्रवाशी
आये दिन नेपाल- भारत सीमा सील होने के बावजूद लोग जंगल और नदी के रास्ते भारत की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। इन मजदूरों में अधिकांश बिहार के कटिहार, पूर्वी चंपारण एवं पश्चिम चंपारण के रहने वाले हैं और कुछ बंगाल के हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 50 दिनों में हजारों प्रवासी मजदूरों ने नेपाल से नदी और जंगल के रास्ते भारत में प्रवेश किया है। आखिर ये लोग आए भी क्यों ना, लेकिन अगर सरकार एवं प्रशासन समय रहते जगी होती, अपना काम ईमानदारी से करती तो इन चोरी से घुसपैठ करने वाले प्रवाशियो के द्वारा देश में संक्रमण फैलने का खतरा कम होता।
प्रशासन की लापरवाही – ना स्वास्थ्य जांच ना भोजन का प्रबंध
इन प्रवाशियो के भारत की सीमा में प्रवेश के बाद भी स्थानीय प्रशासन के तरफ से इनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया और ना इनके स्वास्थ्य जांच के लिए प्रशासन की कोई टीम इन तक पहुंची है।