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किसान आंदोलन : सरकार अड़ी कृषि कानून को लेकर, आखिर क्यों? जानिए पूरी खबर

  • किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अबतक नौ बार बातचीत हो चुकी है

News24 Bite

January 12, 2021 4:34 pm

नई दिल्ली. केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानून के विरोध में पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान धरने पर बैठे हुए है जोकि इस कड़ाके की ठंड के बावजूद भी जारी है। उनकी एक ही मांग है कि ये तीनों कानून रद्द हो।

बता दे, किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अबतक नौ बार बातचीत हो चुकी है लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला है। अब तक 60 से अधिक किसानों ने दम तोड़ चुके हैं। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार देश के किसानों को ‘थकाने और झुकाने’ की साजिश कर रही है। काले कानून खत्म करने की बजाय, 40 दिन से ‘मीटिंग-मीटिंग’ का खेल करके किसानों को ‘तारीख पर तारीख’ दे रही है। उनके मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। इन सब के बीच केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को लेकर अड़ी हुई है।

इस के बीच पार्टी सूत्रों के अनुसार खबर है कि केंद्र सरकार के इस रवैये के पीछे पार्टी के अभियान और अपने नेताओं से मिला फीडबैक है। जो सकारात्मक बातें बता रहा है।

एक लाख से अधिक किसान पंचायतें आयोजित की गईं

भाजपा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंति 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है। पिछले महीने इस दिन से ही पार्टी ने किसानों के साथ हजारों बड़ी बैठकें की। इसके अलावा एक लाख से अधिक किसान पंचायतें भी आयोजित की गईं। इन बैठकों में किसानों को नए कृषि कानून के जरिये आने वाले बदलावों के बारे में जानकारी दी गई और उस सब के बीच से जो बात सामने आई उसमे किसान समूह ने एक सुर में इन बीलों पर अपनी सहमति प्रदान की। इस कार्यक्रम कों तीन फेज में आयोजित किया गया था। भाजपा के पार्टी कैडर ने ब्लॉक और गांव के स्तर पर तीन फेज का कार्यक्रम बनाया। इसके तहत किसानों के साथ बातचीत की गई। इसमें किसानों को कृषि कानून से जुड़ी बुकलेट भी दी गई। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मत है कि कुछ किसान समूहों के विरोध को पूरे किसानों की भावना नहीं माना जा सकता है। भाजपा महासचिव और राज्यसभा सांसद अरुण सिंह ने कहा कि पार्टी के देशव्यापी अभियान के दौरान मैंने व्यक्तिगत रूप से कई किसानों से बातचीत की है, उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं मिला है जिसमें किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ बातचीत की हो या विरोध जताया हो।

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सुधांशु त्रिवेदी – पहले जब किया स्वागत तो फिर अब विरोध क्यों

भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने किसान नेता राकेट टिकैत पर तंज कसा। भाजपा नेता ने दावा किया कि पहले उन्होंने कृषि कानूनों का स्वागत किया था, अब विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि टिकैत कई मौके पर किसानों को बिचौलियों से मुक्त कराने की मांग कर चुके हैं। भाजपा नेता अरुण सिंह ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने किसानों के साथ किसान पंचायत में बातचीत की लेकिन पंजाब के कुछ हिस्सों को छोड़कर किसानों ने कभी कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई।किसान इस बील का स्वागत कर रहें है।इन सब बातों से यही लग रहा है कि सरकार अपनें फैसले से पीछे नहीं हटेगी। देखना होगा अब आगे क्या होता है।

साथ ही खबर यह भी आ रही है कि इस बील रद्द कराने के लिए कुछ समूह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, अब जो होगा वहीं कुछ हो सकता है। सरकार तो पीछे हटेगी ऐसा मुझे नहीं लग रहा है। संजीव सुमन की रिपोर्ट

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