Basilica of Bom Jesus. दोस्तों आज हम आपको दुनिया की सबसे विचित्र चर्च के बारे में बताने जा रहे है जहां 450 सालों से एक मृत शरीर रखा हुआ है ! जिसके बारे में तरह-तरह की मान्यताएं है। और आपको बता दे, यह चर्च कही और नहीं इंडिया में ही है। जी हां आपने सही सुना यह चर्च गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बासिलिका ऑफ़ बोम जीसस (Basilica of Bom Jesus) है। इस जगह का नाम बेगिनिनिम है। इस स्थान को ओल्ड गोवा भी कहते है और इस चर्च को ओल्ड चर्च।
बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस गोवा का सबसे प्रसिद्ध चर्च है और दुनिया भर के ईसाइयों के बीच श्रद्धा का पात्र है।
15 मई 1605 में यह चर्च बनकर तैयार हुआ था। इस चर्च की सबसे खास बात ये है कि यहां एक संत का पार्थिव शरीर 450 सालों से रखा हुआ है। इस संत की मृत्यु साल 1552 में हुई थी। संत का नाम सेंट फ्रांसिस जेवियर है। संत की मृत्यु के बाद इसके शरीर को पहले पुर्तगाल में रखा गया था। लेकिन 2 साल बाद इंडिया भेज दिया गया। उनके बारे में ये कहा जाता है कि उनके पास चिकित्सीय उपचार की अभूतपूर्व शक्तियां थी।
लोगों का मानना है कि सेंट फ्रांसिस जेवियर के मृत शरीर में दैवीय शक्तियां हैं। इसी वजह से इनका शरीर इतने सालों से आज तक खराब नहीं हुआ है। बता दे, इस मृत शरीर से ना ही कोई दुर्गंध आती है और ना ही एक भी कीड़े-मकौड़े लगे हैं। सेंट फ्रांसिस जेवियर इग्नाटियस लोयोला के छात्र थे। इग्नाटियस लोयोला जीसस के आदेशों के संस्थापक थे।
पुर्तगाल के राजा जॉन तृतीय और उस समय के पोप ने जेसुइट मिशनरी बनाने के बाद सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर को धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए भारत भेजा था। इन्होंने भारत सहित चीन, जापान के कई लोगों को ईसाई धर्म में दीक्षा दी। उनकी मृत्यु चीन में समुद्री यात्रा के दौरान दिसम्बर 2,1552 ईस्वी में हुई थी।
सेंट फ्रांसिस ज़ेवियर ने अपने शिष्यों को मृत्यु से पहले गोवा में अपना शरीर दफनाने के लिए कहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पूर्वजों को भी गोवा में ही दफनाया गया था।
कब्र में दफनाने के कुछ सालों बाद रोम से आए संतों के प्रतिनिधिमंडल ने इनके शरीर को कब्र से बाहर निकाला और फिर से उन्हें फ्रांसिस जेवियर चर्च में दफनाया गया। इनके शरीर को एक दिन में तीन बार दफनाया गया था। लेकिन सबसे हैरानी वाली बात ये कि जितनी बार भी संत के शरीर को कब्र से निकाला गया, वो उसी अवस्था में था जैसा कि पहले दफनाया गया था।
संत के बारे में एक कहानी भी बहुत प्रचलित है। वो ये है कि एक महिला ने सेंट फ्रांसिस जेवियर के शव के पैर से चिपक कर उन्हें सुई चुभोया था। जिसके बाद उनके पैर से खून निकलने लगा था। ये तब की बात है जब उनका शरीर सैकड़ों वर्षों तक सूख चुका था।
आज भी चर्च में शव को कांच के ताबूत में रखा गया है। सबसे ताज्जुब की बात ये कि इनका शरीर अभी तक सड़ा नहीं है। इनके शरीर को लोगों के दर्शन के लिए हर 10 साल के बाद लोगों के सामने लाया जाता है। आखिरी बार इनके शरीर को साल 2014 में लोगों के सामने लाया गया था। ध्यान देने वाली बात यह है कि संत के मृत शरीर को सड़ने से बचाने के लिए किसी भी तरह की कोई दवाई नहीं लगाई गई है।
बेसीलिका ऑफ बोम जीसस का उद्घाटन 1605 में फ़ादर एलेक्सियो दे मेनेज़ेस ने किया तथा यह लगभग 400 साल पुराना है और यह पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिये प्रतिदिन खुला रहता है। क्रिसमस के मौके पर हर साल हजारों पर्यटक देश-विदेश से इस चर्च में आते हैं। इस खूबसूरत बेसिलिका ऑफ बोम जीसस घूमने के लिए आप सप्ताह के किसी भी दिन जा सकते है। यहां कोई एंट्री फीस नहीं हैं। बेसिलिका ऑफ बोम जीसस चर्च सोमवार से शनिवार तक सुबह 9:00 बजे से शाम के 6:30 बजे तक खुला रहता है। जबकि रविवार के दिन सुबह 10:30 से शाम के 6:30 बजे तक खुला रहता है। इस चर्च में एक आर्ट गैलरी भी है। यहां आने वाले पर्यटक इसके अलावा आसपास की नजदीकी जगहों पर घूमने के लिए जा सकते हैं। चर्च के नजदीक आपको हर बजट के होटल भी मिल जाएंगें।