UP IAS Village Madhopatti. UPSC सिविल सेवा परीक्षा देश सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। जिसके सपने करोड़ों युवा देखते हैं। लेकिन यह परीक्षा बेहद कठिन होती है। जिसके चलते कुछ लोग ही सफल हो पाते है। लेकिन यूपी का एक ऐसा गावं है जहां एक दो नहीं बल्कि 47 आईएएस और आईपीएस है। इस गांव को अफसरों का गावं भी कहा जाता है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले स्थित एक छोटे गावं माधोपट्टी (Madhopatti) में कुल 75 घर है। लेकिन अबतक यहां से 47 लोग आईएएस और आईपीएस बन चुके है। आलम यह है कि यहां के हर घर में एक अधिकारी मौजूद है। इनमे से तो कई लोग पीएम और सीएम ऑफिस में भी अपनी सेवा दे चुके है।
इतना ही नहीं इस गांव के कई लोग अपनी प्रतिभा के चलते इसरो, मनीला और इंटरनेशनल बैंक में भी अच्छी खासी पोस्ट पर है।
1914 में बना इस गावं से पहला आईएएस
जानकारी के अनुसार इस गांव (Madhopatti Village) के पहले आईएएस अधिकारी मुस्तफा हुसैन थे। मुस्तफा हुसैन मशहूर कवि वामिक जौनपुरी के पिता थे। 1914 में मुस्तफा हुसैन यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की परीक्षा को पास करके पीसीएस में शामिल हुए थे। हुसैन के बाद आईएएस इंदु प्रकाश थे जिन्होंने 1951 में सिविल सेवा परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की और IFS ऑफिसर बने। वह करीब 16 देशों में भारत के राजदूत भी रहे। तब से आईएएस बनने का शुरू हुवा सिलसिला अब तक इस गावं में जारी है।
एक ही घर के चार IAS
वही माधोपट्टी गांव के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। यहां एक परिवार के चार भाइयों ने IAS की परीक्षा पास कर नया रिकॉर्ड कायम किया था। 1955 में परिवार के बड़े बेटे विनय ने देश के इस सबसे कृतिम प्रतियोगी परीक्षा में 13वां स्थान हासिल किया था। वह बिहार के मुख्य सचिव होकर रिटायर हुए। उनके दोनों भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में ये परीक्षा पास की। इसके बाद इन्हीं के छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में UPSC परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया।
बिना कोचिंग बने आईएएस
बता दे. माधोपट्टी में दूर तक, कोई भी कोचिंग इंस्टिट्यूट नहीं हैं। फिर भी गांव के युवा अपनी कड़ी मेहनत और लगन से बुलंदियां छू रहे हैं। जानकारी के अनुसार, यहां के युवक स्कूल से ही आईएएस बनने की तैयारी में जुट जाते हैं।