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अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे : राहत इन्दौरी

  • मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन से उनके प्रशंसकों में शोक की लहर
  • उनसे मिलना सुखद अनुभव था - सुनिल कुमार 'राउत'

News24 Bite

August 12, 2020 7:44 am

RIP. देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी (Rahat Indori ) साहब का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके कोरोना (Coronavirus) संक्रमित होने की भी रिपोर्ट आई थी। उनके निधन से देश विदेश में उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है। उन्होंने अपने बेहतरीन शायरी से एक अलग मुकाम हासिल किया तथा देश विदेश में रह रहें लोगों को अपना प्रशंसक बना दिया था।

वहीं शिक्षक सुनिल कुमार ‘राउत’ ने उनके निधन पर शोक प्रकट कर बीते दिनों को याद करते हुए कहा कि एक कार्यक्रम के तहत जब राहत इंदौरी साहब बगहा के डी एम एकेडमी में आए थे तब कुछ अनमोल समय उनके साथ बिताए थे। उनसे मिलना सुखद अनुभव था। जाते वक्त उन्होंने आशीर्वाद दिया था। वो पल आजीवन याद रहेगा। इन्दौरी साहब के शायरी को याद करते हुए आगे कहा कि उनकी शायरी दिल को छू जाती है।

राहत इन्दौरी संग सुनिल कुमार ‘राउत’

अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे..

हम अपनी जान के दुश्मन को, अपनी जान कहते हैं। मोहब्बत की इसी मिट्टी को, हिंदुस्तान कहते हैं॥

दुश्मनी दिल की पुरानी चल रही है जान से, ईमान से। लड़ते लड़ते जि़न्दगी गुजरी है बेईमान से, ईमान से।
ऐ वतन! इक रोज तेरी ख़ाक में खो जाएंगे, सो जाएंगे। मरके भी रिश्ता नहीं टूटेगा हिंदुस्तान से, ईमान से।

नम आँखों से कहा – अलविदा..
जनाब राहत इंदौरी साहब।

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