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जानिए पप्पू यादव का इतिहास : बेहद खौफनाक है इस बाहुबली का सफर, बड़े-बड़े दबंगों की पैंट हो जाती थी ढीली!

News24 Bite

May 12, 2021 4:11 pm

Pappu Yadav History & Full Story. 12 मई, दिन मंगलवार …..बिहार की राजनीती में भूचाल का दिन था। कोरोना संक्रमितों की सहायता कर रहे पप्पू यादव को अचानक से एक 32 साल पुराने किडनैपिंग मामले में पटना पुलिस उनके पटना स्थित मंदिरी आवास से गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद पुरे देश में बिहार सरकार के इस फैसले को लेकर लोगो में गुस्सा देखने को मिला। उन्हें वीरपुर जेल में रखा गया है।

32 साल पुराने मुकदमे में पप्पू यादव को जेल भेजा जा रहा है
32 साल पुराने मुकदमे में पप्पू यादव को जेल भेजा गया

पप्पू यादव की जीवनी Biography of Pappu Yadav

पप्पू यादव का जन्म 24 दिसम्बर 1967 को बिहार के मधेपुरा जिले के खुर्दा करवेली गावं में एक ज़मींदार परिवार में हुआ था। पप्पू एकलौते बेटे थे। पप्पू यादव का असली नाम राजेश रंजन है। पिता का नाम चन्द्र नारायण प्रसाद यादव है। तथा माता का नाम शान्ति प्रिया है। पप्पू यादव की पत्नी का नाम रंजिता रंजन है। रंजीत रंजन सुपौल से कांग्रेस की पूर्व सांसद रह चुकी है। पप्पू यादव और रंजिता रंजन का एक बेटा सार्थक और एक बेटी प्रकृति है। बेटा सार्थक क्रिकेटर है और दिल्ली रणजी ट्रॉफी में भी खेल चुके है।

पप्पू यादव की शिक्षा (Pappu Yadav Education)

पप्पू यादव ने अपनी स्कूली शिक्षा सुपौल के आनंद मार्ग स्कूल से पूरी की है। इसके बाद पप्पू यादव ने मधेपुरा के बी एन मंडल विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। इसके अलावा इग्नू से डिजास्टर मैनेजमेंट और ह्यूमन राइट्स में डिप्लोमा किया है।

बाहुबली की लव स्टोरी किसी फिल्म से कम नहीं

बिहार की सियासत में जब भी किसी बाहुबली राजनेता का जिक्र होता है, तो उसमें पप्पू यादव का नाम शीर्ष की पंक्तियों में लिया जाता है। एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे पप्पू यादव के सियासी किस्से जितने मशहूर रहें है, उतनी ही मशहूर है उनकी प्रेम कहानी।

राज्य की सियासत में जब भी किसी बाहुबली सियासतदानों का जिक्र होगा, तो उसमें पप्पू यादव का नाम शीर्ष की पंक्तियों में आएगा। एक बार विधायक और 5 बार सांसद रहे पप्पू यादव के सियासी किस्से जितने मशहूर रहें है, उतनी ही मशहूर है उनकी प्रेम कहानी।

Pappu Yadav Ranjeet love Story

बाहुबली पप्पू यादव की लव स्टोरी (pappu yadav and ranjeet ranjan love story) किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। एक दबंग नेता की छवि वाले पप्पू यादव को फोटो देखकर ही प्यार हो गया था। दरअसल इस लव स्टोरी की शुरुआत होती है साल 1991 में जब पप्पू यादव हत्या के आरोप में बांकीपुर जेल में बंद थे। इस दौरान पप्पू यादव अक्सर जेल सुपरिटेंडेंट के आवास से सटे मैदान में बच्चों का खेल देखने जाया करते थे। इसी मैदान पर एक लड़का विक्की से पप्पू की दोस्ती हो गई।

एक दिन विक्की ने पप्पू यादव को अपनी फैमिली अल्बम दिखाई। इस अल्बम में विक्की की बहन रंजीत रंजन की फोटो को देखकर पप्पू यादव उन पर फ़िदा हो गए। जेल से बाहर आने के बाद पप्पू यादव अक्सर रंजीत रंजन से मिलने के लिए टेनिस कोर्ट पहुँच जाते थे, जहां रंजीत रंजन टेनिस खेलने के लिए आती थी. पप्पू ने यादव ने कई बार रंजीत रंजन के सामने अपने प्यार का इजहार किया, लेकिन रंजीत रंजन ने हर बार इंकार कर दिया। पप्पू यादव लेखक भी है उन्होंने अपनी किताब ‘द्रोहकाल का पथिक’ में लिखा है कि रंजीत रंजन के इनकार से वह इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने एक बार नींद की ढेरों गोलियां खा लीं थी। इसके बाद उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

हालांकि इस घटना के बाद पप्पू यादव के प्रति रंजीत रंजन के व्यवहार में कुछ परिवर्तन जरूर आया। इसके बाद पप्पू यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती रंजीत रंजन के परिवार को शादी के लिए राजी करने की थी। इसके लिए पप्पू यादव रंजीत रंजन के बहन-बहनोई को मनाने के लिए चंडीगढ़ गए, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। इसके बाद पप्पू यादव रंजीत रंजन के दूसरे बहन-बहनोई को मनाने के लिए दिल्ली गए, लेकिन यहां भी कुछ नहीं हुआ।

कांग्रेस के इस नेता ने परिवार को मनाने में की मदद

हर तरफ से असफलता मिलने से निराश पप्पू यादव को किसी ने सलाह दी कि वह कांग्रेस में रहे एसएस अहलूवालिया से मदद मांगे। इसके बाद एसएस अहलूवालिया की पहल पर रंजीत रंजन के परिवार वाले शादी के लिए राजी हुए।

जब विमान का पायलट रास्ता भटक गया

रंजीत रंजन के माता-पिता शादी के लिए राजी हुए तो फरवरी 1994 में पप्पू यादव और रंजीत की शादी हो गई। हालांकि शादी में उस समय हंगामा मच गया था जब रंजीत और उनके परिजनों को लेकर आ रहा चार्टर्ड विमान समय पर नहीं पहुंचा। हालांकि बाद में पता चला कि विमान का पायलट रास्ता भटक गया था। जब विमान शादी के स्थल पर पहुंचा तो लोगों ने राहत की सांस ली।

राजनीतिक सफर (Pappu Yadav’s political Career)

आपको बता दे, बेहद ही खौफनाक रहा है इस बाहुबली का राजनीतिक सफर, बड़े-बड़े दबंगों की पैंट हो जाती थी ढीली!

पप्पू यादव का नाम राजनीति के गलियारों में सबसे पहली बार साल 1990 में सुनाई दिया। जब वे विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से चुनाव लड़े और जीत हासिल किया। उसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा। मारधाड़ से भरपूर। तब बड़े-बड़े दबंग भी पप्पू से टकराने से बचते रहे। हालांकि पप्पू मानते रहे हैं कि सामाजिक अंतरविरोधों के कारण उनकी ऐसी छवि गढ़ दी गयी। पहली बार विधायक बनने वाले पप्पू यादव ने बहुत कम वक्त में कोसी बेल्ट के कई जिलों में अपना प्रभाव बढ़ा लिया। उन्होंने मधेपुरा नहीं बल्कि पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, कटिहार जिलों में अपने समर्थकों का मजबूत नेटवर्क खड़ा कर लिया।

पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सांसद बने

साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर सांसद बने। इसके बाद पप्पू यादव ने वापस कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद बने

दो चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीतने वाले पप्पू यादव समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। तब समाजवादी पार्टी का बिहार में कोई ख़ास वोट बैंक नहीं था। लेकिन पप्पू यादव ने 1996 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ा और फिर से जीत हासिल करके दूसरी बार सांसद बने।

तीसरी बार निर्दलीय सांसद बने

इसके बाद साल 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने फिर से पूर्णिया से चुनाव लड़ा लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर और जित कर तीसरी बार सांसद बने।

चौथी बार राजद के टिकट पर सांसद बने

इसके बाद पप्पू यादव लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD में शामिल हो गए। पप्पू यादव ने साल 2004 में मधेपुरा सीट पर हुए उपचुनाव में आरेजडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

साल 2009 में जब पप्पू यादव को एक हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई तो RJD ने उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया। इसके बाद पप्पू यादव ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर अपनी मां को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा किया। हालांकि इस चुनाव में उनकी मां को हार का सामना करना पड़ा।

प्रचंड मोदी लहर के वावजूद शरद यादव को हराया

साल 2013 में जेल से निकलने के बाद पप्पू यादव फिर से राजद में शामिल हो गए। 2104 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने राजद के टिकट चुनाव लड़े। और प्रचंड मोदी लहर के वावजूद मधेपुरा के वर्तमान सांसद शरद यादव को 50 हजार से ज्यादा वोटो से हराकर 5वी बार लोकसभा पहुंचे।

इस चुनाव के एक साल बाद ही पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें राजद से निकाल दिया गया।

जन अधिकार पार्टी की स्थापना

राजद से बाहर होने के बाद 2015 में पप्पू यादव ने अपनी खुद की पार्टी जन अधिकार पार्टी (Jan Adhikar Party ) बनाई। और 2019 लोकसभा चुनाव में खुद के पार्टी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़े लकिन उन्हें हार का मुँह देखना पड़ा।

इसके बाद 2020 विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव की पार्टी 154 सीट पर चुनाव लड़ा लेकिन पप्पू यादव समेत उनके सभी प्रत्याशियों को भरी पराजय का समाना करना पड़ा।

पप्पू यादव के विवाद Pappu Yadav’s controversy

बाहुबली पप्पू यादव का विवादों से गहरा नाता रहा है। वह अक्सर सुर्ख़ियों में बने रहते है। पप्पू यादव पर साल 1998 में सीपीएम नेता अजीत सरकार की हत्या का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया तथा साल 2008 में विशेष सीबीआई अदालत ने पप्पू यादव और दो अन्य को सीपीआई नेता की हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। हालांकि पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण पटना हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को मई 2013 में जेल से रिहा करने आदेश दे दिया।

आनंद मोहन और पप्पू यादव के बीच वर्चस्व की जंग

Pappu Yadav vs Anand Mohan

नब्बे के दशक में बिहार में दो बाहुबलियों का नाम काफी जोर-शोर से लिया जाता था। इनमें एक थे पप्पू यादव और दूसरे थे आनंद मोहन। एक बैकवर्ड का नेता थे, तो दूसरे फॉरवर्ड का नेता। यादवों और राजपूतों के वर्चस्व की जंग में एक दूसरे की जान के दुश्मन बने पप्पू यादव और आनंद मोहन के बिच कई बार भिडंत भी हुई। 1990 के विधानसभा चुनावों में पहली बार मधेपुरा से पप्पू यादव विधायक बने तो सहरसा से आनंद मोहन सिंह। मंडल कमीशन के विरोध के चलते आनंद मोहन सिंह सवर्णों के लीडर के तौर पर उभरे तो उधर पप्पू यादव मंडल कमीशन के समर्थन के चलते बैकवर्ड कम्यूनिटी के लीडर के तौर पर पहचान बनाने में कामयाब हुए। हालांकि, समय बदला और दोनों के राह अलग हो गए। फ़िलहाल आनंद मोहन सिवान के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के आरोप में आजीवन सजा काट रहे है।

दबंग छवि के लिए लालू को ठहराया था जिम्मेदार

कभी लालू यादव के बेहद करीबी रहने वाले और अपने आप को लालू का राजनीतिक उत्तराधिकारी बताने वाले पप्पू यादव ने अपनी इस बाहुबली छवि के लिए सीधे लालू यादव को दोषी ठहराया था। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा था, ‘मैं तो एक साधारण छात्र था। लालू का प्रशंसक था। उनको अपना आदर्श मानता था, लेकिन लालू मेरे साथ बार-बार छल करते गए। मुझे बिना अपराध किए ही कुर्सी का नाजायज फायदा उठाते हुए कुख्यात और बाहुबली बना दिया।

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