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जानिए इजराइल का फिलिस्तीन से संघर्ष की पूरी कहानी, पहले विश्वयुद्ध से अब तक कब-क्या हुआ?

News24 Bite

May 14, 2021 5:21 am

Israeli-Palestinian Conflict . सात वर्ष बाद एक बार फिर फिलिस्तीन और इजराइल के बीच सोमवार से शुरू हुआ संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार हो रहे हवाई हमलों और गोलाबारी के बीच एक बार फिर दोनों के बीच युद्द जैसे हालात बन गए हैं। इसमें अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। आखिरी बार साल 2014 में दोनों के बीच युद्ध हुआ था जो कि 50 दिन तक चला था।

इजराइल ने मंगलवार को हवाई हमले में फिलिस्तीन के गाजा शहर स्थित दो गगनचुंबी इमारत को निशाना बनाया है तो वहीं हमास और अन्य सशस्त्र समूहों ने दक्षिणी इजराइल पर सैकड़ों रॉकेट एक साथ दागे है। दोनों तरफ से हुए इन हमलों में बच्चों समेत दर्जनों लोगों की जान चली गई।

यहूदी, मुस्लिम और ईसाइयों के पवित्र स्थल येरुशलम शहर के पुराने इलाके में फिलीस्तीन के प्रदर्शनकारी और इज़रायली पुलिस के बीच में पिछले कई दिनों से हर रोज़ संघर्ष हो रहा है।

ईसा मसीह के जन्म से भी पुराना है विवाद

इतिहासकारों के मुताबिक, इजरायल और फिलिस्तीन के बीच का विवाद ईसा मसीह के जन्म से भी पुराना है। बाइबल में प्रभु ने इजरायल के इलाके का चुनाव यहूदियों के लिए किया था। इसलिए पूरी दुनिया के यहूदी इसे अपना घर मानते हैं। हालांकि यहूदियों को कई बार इसी जगह अत्याचारों का सामना करना पड़ा है और यहां से बेदखल भी होना पड़ा है।

वहीं फिलिस्तीनियों का मानना है कि वे लोग हमेशा से यहां के मूल निवासी रहे हैं इसलिए इस जगह पर उनका अधिकार है और वो किसी भी स्थिति में उसे नहीं खोना चाहते हैं।

72 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य ने इस इलाके पर हमला करके उसपर कब्जा कर लिया था। इसके बाद सारे यहूदी दुनियाभर में इधर-उधर जाकर बस गए। इस घटना को एक्जोडस कहा जाता है। इस घटना के बाद यहूदी बड़ी संख्या में यूरोप और अमेरिका में जाकर बस गए।

खौफ की वजह से फिलिस्तीन पहुंचे यहूदी

प्रथम विश्व युद्ध के बाद साल 1920 और 1945 के बीच यूरोप में बढ़ते उत्पीड़न और हिटलर की नाजियों के हाथों नरसंहार से बचने के लिए लाखों की संख्या में यहूदी फिलिस्तीन पहुंचने लगे। इलाके में यहूदियों की बढ़ती आबादी को देखकर फिलिस्तीनियों को अपने भविष्य की चिंता हुई और इसके बाद फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच टकराव शुरू हो गया।

हिटलर ने पूरी दुनिया की एक तिहाई यहूदी आबादी को खत्म कर दिया

1933 में जर्मनी का सत्ता पर काबिज होने के बाद हिटलर ने यहूदियों का पूरी दुनिया से खात्मा करने की योजना पर अमल किया। 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध के आगाज के बाद हिटलर ने बड़े पैमाने पर यहूदियों को मौत के घाट उतरा। हिटलर ने एक योजना के तहत विश्व युद्ध के 6 साल के दौरान 60 लाख से ज्यादा यहूदियों को मौत के घाट उतारा था। जिसमें 15 लाख बच्चे शामिल थे। हिटलर ने पूरी दुनिया की एक तिहाई यहूदी आबादी को खत्म कर दिया था।

यरुशलम शहर है विवाद की एक बड़ी वजह

1947 में यूनाइटेड नेशन ने फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांट दिया। एक अरब राज्य और दूसरा हिस्सा बना इजराइल। यरुशलम को अंतरराष्ट्रीय सरकार के कब्जे में रखा गया। विवाद की एक बड़ी वजह यरुशलम शहर भी है।

1948 में इजराइल ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। अगले ही दिन अरब देशों ने इजराइल पर हमला कर दिया। ये युद्ध करीब 15 महीनों तक चला। 1949 में एक संधि के साथ युद्ध खत्म हुआ। इजराइल ने युद्ध जीत लिया। 7 लाख के करीब फिलिस्तीनी शरणार्थी बन गए।

1954 में मिस्र ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर इजराइल के जहाजों के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी। इस वजह से 1956 में अरब सेना और इजराइल के बीच दूसरा युद्ध हुआ। इजराइल ने गाजा पट्टी और मिस्र के सिनाई इलाके पर कब्जा कर लिया

2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात का समर्थन नहीं करता।

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