राजस्थान. स्थानीय चुनाव नतीजों का इस्तेमाल बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक बिन्दुओं को उजागर करने मे करेगी। यह आने वाले समय में सत्ताधारी कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बन सकती है। पार्टी में अब इस बात पर चर्चा होने लगी है कि इस परिणाम के बाद सीएम गहलोत-सचिन पायलट के बीच छिड़ी वाकयुद्ध पर और क्या असर पड़ने वाला है? क्या पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव नतीजों को पायलट समर्थक कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर कर सकते हैं? क्या अब यह बताने की कोशिश होगी कि अशोक गहलोत अजेय नहीं रहे। जैसा उनके समर्थन अब तक कहते आ रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा आगे ऊंट किस करवट बैठता है।
कुछ दिन पहले गहलोत ने कहा था कि बीजेपी उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। इसे दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने गहलोत के बड़े प्रयास के तौर पर देखा था। जिसके द्वारा वे हाईकमान को यह जता रहे थे कि अभी उनकी जरूरत जयपुर को है न कि दिल्ली को।
आपकों बता दें कि अहमद पटेल की मृत्यु के बाद दिल्ली उन्हें बुला रही है। तब ही उन्होंने यह बात बोले ऐसा देखा जा रहा है।
हालांकि गहलोत समर्थन इन अटकलों को खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है यह सब अटकल पायलट कैंप द्वारा अनावश्यक रूप से कांग्रेस पार्टी में फैलाया जा रहा हैं। जबकि पायलट कैंप का कहना है कि गहलोत सब को साथ लेकर चलने मे अक्षम हैं। यही कारण है कि बीजेपी को स्थानीय निकाय चुनाव में इसका फायदा मिला।
पायलट खेमा कांग्रेस में अस्थिरता और अधीरता बढ़ने से अब नेतृत्व से यह कहने वाली है कि देरी से चीजें और खराब हो जाएगी। जिसका फायदा सिर्फ बीजेपी उठाएगी। इसके उदाहरण में पायलट कैंप हैदराबाद नगर निगम चुनाव का हवाला दे रही है, जहाँ बीजेपी 4 से 48 तक पहुंच गई।